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संघीय कार्यपालिका एवं भारत का राष्ट्रपति | Federal Executive and President of India

 

भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है.

1. भारत में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है. इसलिए राष्ट्रपति नामपत्र की कार्यपालिका है तथा प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका है.

राष्ट्रपति
a.
 राष्ट्रपति भारत का संवैधानिक प्रधान होता है.
b. 
भारत का राष्ट्रपति भारत का प्रथम व्यक्ति कहलाता है.

2. राष्ट्रपति पद की योग्यता: संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार कोई व्यक्ति राष्‍ट्रपति होने योग्य तब होगा, जब वह:
(a) 
भारत का नागरिक हो.
(b) 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो.
(c) लोकसभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने योग्य हो.
(d)
 चुनाव के समय लाभ का पद धारण नहीं करता हो.

नोट: यदि व्यक्ति राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद पर हो या संघ अथवा किसी राज्य की मंत्रिपरिषद का सदस्य हो, तो वह लाभ का पद नहीं माना जाएगा.

3. राष्‍ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचक मंडल: इसमें राज्य सभा, लोकसभा और राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य रहते हैं. नवीनतम व्यवस्था के अनुसार पांडिचेरी विधानसभा तथा दिल्ली की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य को भी सम्मिलित किया गया है.

4. राष्ट्रपति-पद के उम्मीदवार के लिए निर्वाचक-मंडल के 50 सदस्य प्रस्तावक तथा 50 सदस्य अनुमोदक होते हैं.

5. एक ही व्यक्ति जितनी बार भी चाहे राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हो सकता है.

6. राष्ट्रपति का निर्वाचन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है.

7. राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवादों का निपटारा उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाता है. निर्वाचन अवैध घोषित होने पर उसके द्वारा किए गए कार्य अवैध नहीं होते हैं.

8. राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तिथि से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा. अपने पद की समाप्ति के बाद भी वह पद पर तब तक बना रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता है.

9. पद-धारण करने से पूर्व राष्ट्रपति को एक निर्धारित प्रपत्र पर भारत के मुख्य न्यायाधीश अथवा उनकी गैरमौजूदगी में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के सम्मुख शपथ लेनी पड़ती है.

10. राष्ट्रपति निम्न दशाओं में पांच वर्ष से पहले भी पद त्याग सकता है:
(a)
 उपराष्ट्रपति को संबोधित अपने त्यागपत्र द्वारा.
(b)
 महाभियोग द्वारा हटाए जाने पर (अनुच्छेद 56 एवं 61) महाभियोग के लिए केवल एक ही आधार है, जो अनुच्छेद 61(1) में उल्लेखित है, वह है संविधान का अतिक्रमण.

11. राष्ट्रपति पर महाभियोग: राष्ट्रपति द्वारा संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन पर संसद किसी सदन द्वारा उस पर महाभियोग लगाया जा सकता है, परन्तु इसके लिए आवश्यक है कि राष्ट्रपति को 14 दिन पहले ही लिखित सूचना दी जाए, जिस पर उस सदन के एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर हों. संसद के उस सदन, जिसमें महाभियोग का प्रस्ताव पेश है, के दो-तिहाई सदस्यों द्वारा पारित कर देने पर प्रस्ताव दूसरे सदन में जाएगा, तब दूसरा सदन राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों की जांच करेगा या कराएगा और ऐसी जांच में राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों को सिद्ध करने वाला प्रस्ताव दो-तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है, तब राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया पूरी समझी जाएगी और उसी तिथि से राष्ट्रपति को पदत्याग करना होगा.

12.
 राष्ट्रपति की रिक्ति को 6 महीने के अंदर भरना होता है.

13
. जब राष्ट्रपति पद की रिक्ति पदावधि (पांच वर्ष) की समाप्ति से हुई है, तो निर्वाचन पदावधि की समाप्ति के पहले ही कर लिया जाएगा. [अनुच्छेद 61(1)] किन्तु यदि उसे पूरा करने में कोई विलंब हो जाता है तो 'राज-अंतराल' न होने पाए इसिलिए यह उपबंध है कि राष्ट्रपति अपने पद की अवधि समाप्त हों जाने पर भी तब तक पद पर बना रहेगा, जब तक उसका उत्तराधिकारी पद धारण नहीं कर लेता है, [अनुच्छेद 56(1) ग] (ऐसी दशा में उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य नहीं कर सकेगा.
(a) राष्ट्रपति के वेतन एवं भत्ते: राष्ट्रपति का मासिक वेतन डेढ़ लाख रुपया है.
(b) राष्ट्रपति का वेतन आयकर से मुक्त होता है.
(c) राष्ट्रपति को नि: शुल्क निवासस्थान व संसद द्वारा स्वीकृति अन्य भत्ते प्राप्त होतें हैं.
(d) राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उनके वेतन तथा भत्ते में किसी प्रकार की कमी नहीं की जा सकती है.
(e) राष्ट्रपति के लिए 9 लाख रुपये वार्षिक पेंशन निर्धारित की गई है.

राष्ट्रपति के अधिकार एवं कर्तव्य
[1] नियुक्ति संबंधी अधिकार: राष्ट्रपति निम्न की नियुक्ति करता है:
(a) भारत का प्रधानमंत्री,
(b) प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रिपद के अन्य सदस्यों,
(c) सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों,
(d) भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक,
(e) राज्यों के राज्यपाल,
(f) मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त,
(g) भारत के महान्यायवादी,
(h) राज्यों के मध्य समन्वय के लिए अंतर्राज्यीय परिषद के सदस्य,
(i) संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों,
(j) संघीय क्षेत्रों के मुख्य आयुक्तों,
(k) वित्त आयोग के सदस्यों,
(l) भाषा आयोग के सदस्यों,
(m) पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों,
(n) अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों,
(o) भारत के राजदूतों तथा अन्य राजनयिकों,
(p) अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में रिपोर्ट देने वाले आयोग के सदस्यों आदि.

[2] विधाई शक्तियां:
राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है. इसे निम्न विधायी शक्तियां प्राप्त हैं:
(1) संसद के सत्र को आहूत करने, सत्रावसान सभा भंग करने संबंधी अधिकार.
(2) संसद के एक सदन में या एक साथ सम्मिलित रूप से दोनों सदनों में अभिभाषण करने की शक्ति.
(3) लोकसभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के प्रारंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरम्भ में सम्मिलित रूप से संसद में अभिभाषण करने की शक्ति.  
(4) संसद दवरा पारित विधेयक राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद ही कानून बनता है.
(5) संसद में निम्न विधेयक को पेश करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सहमति आवश्यक है:
(a) नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्य के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन संबंधी विधेयक
(b) धन विधेयक [अनुच्छेद 117(1)]
(c) संचित निधि में व्यय करने वाले विधेयक [अनुच्छेद 117(3)]
(d) ऐसे कराधान पर, जिसमें राज्य हित जुड़े हैं, प्रभाव डालने वाले विधेयक.
(e) राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बन्धन लगाने वाले विधेयक.

[3] संसद सदस्यों के मनोनयन का अधिकार:
जब राष्ट्रपति को यह लगे की लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय के व्यक्तियों का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं हैं, तब तक वह उस समुदाय के दो व्यक्तियों को लोकसभा के सदस्य के रूप में नामांकित कर सकता है. इसी प्रकार वह कला, साहित्य, पत्रकारिता, विज्ञान तथा सामाजिक कार्यों में पर्याप्त अनुभव एवं दक्षता रखने वाले 12 व्यक्तियों को राज्य सभा में नामजद कर सकता है.

[4] अध्यादेश जारी करने की शक्ति:
संसद के स्थगन के समय अनुच्छेद 123 के तहत अध्यादेश जारी कर सकता है, जिसका प्रभाव संसद के अधिनियम के समान होता है. इसका प्रभाव संसद सत्र शुरू होने के सप्ताह तक रहता है. परन्तु, राष्ट्रपति राज्य सूची के विषयों पर अध्यादेश नहीं जारी कर सकता, जब दोनों सदन सत्र में होते हैं, तब राष्ट्रपति को यह शक्ति नहीं होती है.

[5] सैनिक शक्ति: सैन्य बालों की सर्वोच्च शक्ति राष्ट्रपति में सन्निहित है, किन्तु इसका प्रयोग विधि द्वारा नियमित होता है.

[6]राजनैतिक शक्ति: दूसरे देशों के साथ कोई भी समझौता या संधि राष्ट्रपति के नाम से की जाती है. राष्ट्रपति विदेशों के लिए भारतीय राजदूतों की नियुक्ति करता है एवं भारत में विदेशों के राजदूतों की नियुक्ति का अनुमोदन करता है.

[7] क्षमादान की शक्ति: संविधान के अनुच्छेद 72 के अंतर्गत राष्ट्रपति को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा करने, उसका प्रविलम्बन, परिहार और लघुकरण की शक्ति प्राप्त है.

[8] राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां: आपातकाल से संबंधित उपबंध भारतीय संविधान के भाग-18 के अनुच्छेद 352 से 360 के अंतर्गत मिलता है. मंत्रिपरिषद के परामर्श से राष्ट्रपति तीन प्रकार के आपात लागू कर सकता है:
(a) युद्ध या वाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण लगाया गया आपात (अनुच्छेद 352)
(b) राज्यों में संवैधानिक तंत्र के विफल होने से उत्पन्न आपात (अनुच्छेद 356) (अर्थात राष्ट्रपति शासन)
(c) वित्तीय आपात (अनुच्छेद 360) (न्यूनतम अवधि दो महीने).

[9] राष्ट्रपति किसी सार्वजनिक महत्‍व के प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय से अनुच्छेद 143 के अधीन परामर्श ले सकता है, लेकिन वह यह परामर्श मानने के लिए बाध्य नहीं है.
[10] राष्ट्रपति की किसी विधेयक पर अनुमति देने या न देने के निर्णय लेने की सीमा का आभाव होने के कारण राष्ट्रपति जेबी वीटो का प्रयोग कर सकता है, क्यूंकि अनुच्छेद 111 केवल यह कहता है कि यदि राष्ट्रपति विधेयक लौटाना चाहता है, तो विधेयक को उसे प्रस्तुत किए जाने के बाद यथशीघ्र लौटा देगा. जेबी वीटो शक्ति का प्रयोग का उदहारण है, 1986 ई० में संसद द्वारा पारित भारतीय डाकघर संशोधन विधेयक, जिस पर तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने कोई निर्णय नहीं लिया.

राष्‍ट्रपति चुनाव से जुड़े कुछ तथ्‍य:
1.
 डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे वे लगातार दो बार राष्ट्रपति निर्वाचित हुए.
2. डॉ. एस राधाकृष्णन लगातार दो बार उपराष्ट्रपति तथा एक बार राष्ट्रपति रहे.
3. केवल वी. वी. गिरि के निर्वाचन के समय दूसरे चक्र की मतगणना करनी पड़ी.
4. केवल नीलम संजीव रेड्डी ऐसे राष्ट्रपति हुए जो एक बार चुनाव में हार गए, फिर बाद में निर्विरोध राष्ट्रपति निर्वाचित हुए.
5. भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल है.

उपराष्ट्रपति 63वें अनुच्छेद
1. संविधान के अनुच्छेद 63 के अनुसार भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा. (कार्यकाल 5 वर्ष)
2. संविधान में उपराष्ट्रपति से संबंधित प्रावधान अमेरिका के संविधान से ग्रहण किया गया है.
3. भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है.
4. उपराष्ट्रपति राज्य सभा का सदस्य नहीं होता है, अत: मतदान का अधिकार नहीं है किन्तु सभापति के रूप में निर्णायक मत देने का अधिकार उसे प्राप्त है.
5. योग्यता: कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के योग्य तभी होगा, जब वह:
(a) भारत का नागरिक हो,
(b) 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो,
(c) राज्य सभा का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो,
(d) निर्वाचन के समय किसी प्रकार के लाभ के पद पर नहीं हो,
(e) वह संसद के किसी सदन या राज्य के विधान मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं हो सकता और यदि ऐसा व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन का अपना स्थान अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है.
6.
 उपराष्ट्रपति को अपना पद ग्रहण करने से पूर्व राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ लेनी पड़ती है.
7. राष्ट्रपति के पद खाली रहने पर उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति की हैसियत से कार्य करता है. उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने की अधिकतम अवधि 6 महीने होती है. इस दौरान राष्ट्रपति का चुनाव करा लेना अनिवार्य होता है. राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते समय उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को मिलने वाली वेतन तथा सभी सुविधाओं का उपभोग करता

प्रधानमंत्री एवं परिषद
1.
 संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति को उसके कार्यों के संपादन व सलाह देने हेतु एक मंत्रीपरिषद होती है, जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होता है.
2. संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर करेगा.
3. मंत्रिपरिषद का सदस्य बनने के लिए वैधानिक दृष्टि से यह आवश्यक है कि व्यक्ति संसद के किसी सदन का सदस्य हो, यदि व्यक्ति मंत्री बनते समय संसद-सदस्य नहीं हो, तो उसे 6 महीने के अंदर संसद सदस्य बनना अनिवार्य है नहीं तो उसे अपना पद छोड़ना होगा.
4. पद ग्रहण से पूर्व प्रधानमंत्री सहित प्रत्येक मंत्री को राष्ट्रपति के सामने पद और गोपनीयता की शपथ लेनी होती है.
5. सभी मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और उपमन्त्रियों को नि:शुल्क निवास स्थान तथा अन्य सुविधाएं प्राप्त होती हैं.
6. मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होती है.
7. यदि लोक सभा किसी एक मंत्री के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित करे अथवा उस विभाग से सम्बंधित विधेयक को रद्द कर दे, तो समस्त मंत्रिमंडल को त्यागपत्र देना होता है.
8. मंत्री तीन प्रकार के होते है- कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री एवं उपमंत्री. कैबिनेट मंत्री विभाग के अध्यक्ष होते हैं. प्रधानमंत्री एवं कैबिनेट मंत्री को मिलाकर मंत्रिमंडल का निर्माण होता है.
9. प्रधानमंत्री की सलाह पर ही राष्ट्रपति लोक सभा भंग करता है.
10. प्रधानमंत्री योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष होता है.
11. प्रधानमंत्रियों में सबसे बड़ा कार्यकाल प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का रहा. वे कुल 16 साल 9 महीने और 13 दिन तक अपने पद पर रहे.
12. देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बनी. वे ऐसी पहली व्यक्ति रही जो दो अलग-अलग अवधियों में प्रधानमंत्री रहीं.
13. पहली बार जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी तो वह राज्य सभा की सदस्य थीं.
14. चरण सिंह एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जो कभी लोकसभा में उपस्थित नहीं हुए.
15. विश्वास मत प्राप्त करने में असफल होने वाले पहले प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह हुए.
16. सबसे कम समय तक एक कार्यकाल में प्रधानमंत्री के पद पर रहने वाले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हुए (मात्र 13 दिन).
17. कैबिनेट मंत्रियों में सबसे बड़ा कार्यकाल जगजीवन राम का रहा, जो लगभग 32 वर्ष तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे

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 अरबिन्द घोष/Aurobindo Ghosh अरबिन्द घोष अरविन्द घोष को रोमा रोलां भारतीय दार्शनिकों में सम्राट एवं एशिया और यूरोप की प्रतिभा का समन्वया कहकर सम्बोधित किया। डॉ. फ्रेडरिक स्पजलबर्ग ने तो उन्हें 'हमारे युग का पैगम्बर तक कह डाला है। अरबिन्द घोष की रचनाओं से हमें भारत की नवीन तथा उदीयमान आत्मा का घनीभूत सार देखने को प्राप्त होता है। अरविन्द घोष प्रथम भारतीय राष्ट्रवादी थे जिन्होंने पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्ति को भारत के राष्ट्रीय एवं राजनीतिक संघर्ष का उद्देश्य माना था अरविन्द द्वारा दिया गया आध्यात्मिक राजनीति या राजनीति का आध्यात्मीकरण भारतीय चिन्तन को अनुपम देन है। अरबिन्द की रचनाएँ रामकृष्ण और विवेकानन्द के वेदान्तिक समन्वय का अरबिन्द पर विशेष प्रभाव पड़ा। अरविन्द ने निम्नलिखित ग्रन्थों की रचना की- (1) द लाइफ डिवाइन, (2) एसेज आन द गीता, (3) द सिन्थेसिस ऑफ योग, (4) सावित्री, (5) द ह्यूमन साइकल, (6) द आइडियल ऑफ ह्यूमन यूनिटी आदि । अरबिन्द के राजनीतिक दर्शन के आध्यात्मिक आधार  अरविन्द ने एक राजनीतिक दार्शनिक के रूप में आध्यात्मिक नियतिवाद के सिद्धान्त को स्वीकार किया था। उनका मानन...

संविधान की प्रस्तावना प्रस्तावना संविधान के लिए एक परिचय के रूप में कार्य |Preamble to the Constitution Preamble Acts as an introduction to the Constitution

  प्रस्तावना उद्देशिका संविधान के आदर्शोँ और उद्देश्योँ व आकांक्षाओं का संछिप्त रुप है। अमेरिका का संविधान प्रथम संविधान है, जिसमेँ उद्देशिका सम्मिलित है। भारत के संविधान की उद्देशिका जवाहरलाल नेहरु द्वारा संविधान सभा मेँ प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव पर आधारित है। उद्देश्यिका 42 वेँ संविधान संसोधन (1976) द्वारा संशोधित की गयी। इस संशोधन द्वारा समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्द सम्मिलित किए गए। प्रमुख संविधान विशेषज्ञ एन. ए. पालकीवाला ने प्रस्तावना को  संविधान का परिचय पत्र  कहा है। हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिक को : सामाजिक, आर्थिक, और राजनैतिक नयाय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब मेँ व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा मेँ आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत २००६ विक्रमी) क...

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मानवेन्द्र नाथ रॉय की जीवनी एवं विचार/Biography and Thoughts of Manvendra Nath Roy

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अरबिन्द घोष की जीवनी एवं विचार/Biography and Thoughts of Aurobindo Ghosh

 अरबिन्द घोष/Aurobindo Ghosh अरबिन्द घोष अरविन्द घोष को रोमा रोलां भारतीय दार्शनिकों में सम्राट एवं एशिया और यूरोप की प्रतिभा का समन्वया कहकर सम्बोधित किया। डॉ. फ्रेडरिक स्पजलबर्ग ने तो उन्हें 'हमारे युग का पैगम्बर तक कह डाला है। अरबिन्द घोष की रचनाओं से हमें भारत की नवीन तथा उदीयमान आत्मा का घनीभूत सार देखने को प्राप्त होता है। अरविन्द घोष प्रथम भारतीय राष्ट्रवादी थे जिन्होंने पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्ति को भारत के राष्ट्रीय एवं राजनीतिक संघर्ष का उद्देश्य माना था अरविन्द द्वारा दिया गया आध्यात्मिक राजनीति या राजनीति का आध्यात्मीकरण भारतीय चिन्तन को अनुपम देन है। अरबिन्द की रचनाएँ रामकृष्ण और विवेकानन्द के वेदान्तिक समन्वय का अरबिन्द पर विशेष प्रभाव पड़ा। अरविन्द ने निम्नलिखित ग्रन्थों की रचना की- (1) द लाइफ डिवाइन, (2) एसेज आन द गीता, (3) द सिन्थेसिस ऑफ योग, (4) सावित्री, (5) द ह्यूमन साइकल, (6) द आइडियल ऑफ ह्यूमन यूनिटी आदि । अरबिन्द के राजनीतिक दर्शन के आध्यात्मिक आधार  अरविन्द ने एक राजनीतिक दार्शनिक के रूप में आध्यात्मिक नियतिवाद के सिद्धान्त को स्वीकार किया था। उनका मानन...

हीगल की जीवनी एवं विचार (Biography and Thoughts of Hegel)/हीगल की रचनाएँ/विश्वात्मा पर विचार /विश्वात्मा पर विचार / जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल

  जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल  हीगल (Hegel) जर्मन आदर्शवादियों में होगल का नाम शीर्षस्य है। इनका पूरा नाम जार्ज विल्हेम फ्रेडरिक हीगल था। 1770 ई. में दक्षिण जर्मनी में बर्टमवर्ग में उसका जन्म हुआ और उसकी युवावस्था फ्रांसीसी क्रान्ति के तुफानी दौरे से बीती हींगल ने विवेक और ज्ञान को बहुत महत्त्व प्रदान किया। उसके दर्शन का महत्त्व दो ही बातों पर निर्भर करता है- (क) द्वन्द्वात्मक पद्धति, (ख) राज्य का आदर्शीकरण। हीगल की रचनाएँ लीगल की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं 1. फिनोमिनोलॉजी ऑफ स्पिरिट (1807)  2. साइन्स ऑफ लॉजिक (1816) 3. फिलॉसफी ऑफ लॉ या फिलॉसफी ऑफ राइट (1821) 4. कॉन्सटीट्शन ऑफ जर्मनी  5. फिलॉसफी ऑफ हिस्ट्री (1886) मृत्यु के बाद प्रकाशित विश्वात्मा पर विचार  हीगल के अनुसार इतिहास विश्वात्मा की अभिव्यक्ति की कहानी है या इतिहास में घटित होने वाली सभी घटनाओं का सम्बन्ध विश्वात्मा के निरन्तर विकास के विभिन्न चरणों से है। विशुद्ध अद्वैतवादी विचारक हीगल सभी जड़ एवं चेतन वस्तुओं का उद्भव विश्वात्मा के रूप में देखता है वेदान्तियों के रूप में देखता है वेदान्तियों के '...

डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जीवनी एवं विचार/Biography and Thoughts of Dr. Bhimrao Ambedkar

   डॉ. भीमराव अम्बेडकर  की जीवनी एवं विचार/Biography and Thoughts of  Dr. Bhimrao Ambedkar डॉ. भीमराव अम्बेडकर डॉ. अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 में महाराष्ट्र में हुआ था। इन्होंने 1907 ई. में हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद बड़ीदा के महाराज ने उच्च शिक्षण प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की। तत्पश्चात् 1919 ई. में इन्होंने अमेरिका के कोलम्विया विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो. सेल्गमैन उनके प्राध्यापक थे। इसके उपरान्त डॉक्टरेट के लिए अम्बेडकर ने लन्दन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में एडमिशन लिया।      अम्बेडकर साहब का जन्म चूँकि एक अस्पृश्य परिवार में हुआ था जिस कारण इस घटना ने इनके जीवन को बहुत ही ज्यादा प्रभावित किया जिससे ये भारतीय समाज की जाति व्यवस्था के विरोध में आगे आए। डॉ. अम्बेडकर ने 1925 ई. में एक पाक्षिक समाचार पत्र 'बहिष्कृत भारत' का प्रकाशन बम्बई से प्रारम्भ किया। इसके एक वर्ष पश्चात् (1924 ई. में) इन्होंने 'बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की। इनके अलावा कुछ संस्थाएँ और थी- समता सैनिक दल, स्वतन्त्र लेबर...

भारतीय संविधान के विकास का इतिहास | History of development of Indian constitution

  1757 ई. की प्लासी की लड़ाई और 1764 ई. बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन का शिकंजा कसा. इसी शासन को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए अंग्रेजों ने समय-समय पर कई एक्ट पारित किए, जो भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियां बनीं. वे निम्न हैं: 1. 1773 ई. का रेग्‍यूलेटिंग एक्ट:  इस एक्ट के अंतर्गत कलकत्ता प्रेसिडेंसी में एक ऐसी सरकार स्थापित की गई, जिसमें गवर्नर जनरल और उसकी परिषद के चार सदस्य थे, जो अपनी सत्ता का उपयोग संयुक्त रूप से करते थे. इसकी मुख्य बातें इस प्रकार हैं - (i)  कंपनी के शासन पर संसदीय नियंत्रण स्थापित किया गया. (ii)  बंगाल के गवर्नर को तीनों प्रेसिडेंसियों का जनरल नियुक्त किया गया. (iii)  कलकत्ता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई. 2. 1784 ई. का पिट्स इंडिया एक्ट:  इस एक्ट के द्वारा दोहरे प्रशासन का प्रारंभ हुआ- (i) कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स - व्यापारिक मामलों के लिए (ii) बोर्ड ऑफ़ कंट्रोलर- राजनीतिक मामलों के लिए. 3. 1793 ई. का चार्टर अधिनियम:  इसके द्वारा नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों तथा...

राजनीति विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर | Important Quetions and Answers of Political Science

  राजनीति विज्ञान के 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 1. दार्शनिक राजा का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था ? उत्तर. प्लेटो ने। 2. संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान महासचिव हैं ? उत्तर. एंटोनियो गुटेरेश है जो पुर्तगाल के हैं, जिन्होने 1 जनवरी 2017 को अपना कार्यकाल सँभाला 3. श्रेणी समाजवाद का संबंध निम्नलिखित में से किस देश से रहा है ? उत्तर. बिर्टेन से। 4. राज्य की उत्पत्ति का दैवीय सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था ? उत्तर. जेम्स प्रथम ने 5. मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है? उत्तर. राष्ट्रपति 6. संसद का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी की न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए? उत्तर. 25 वर्ष 7. भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा प्रस्तावना में दो शब्द ‘समाजवादी’ और धर्मनिरपेक्ष जोड़े गए थे? उत्तर. 42वें 8. भारतीय संविधान के कौनसे भाग में नीति निदेशक तत्वों का वर्णन है ? उत्तर. चतुर्थ। 9. जस्टिस शब्द जस से निकला है जस का संबंध किस भाषा से है ? उत्तर. लैटिन 10. पंचायत समिति का गठन होता है? उत्तर. प्रखंड स्तर पर 11. “मेरे पास खून, पसीना और आँसू के अतिरिक्त देने के लिए कुछ भी नहीं है ” यह किस...

केन्द्र-राज्य सम्बन्ध और अंतर्राज्य परिषद | Center-State Relations and Inter-State Council

  केन्द्र-राज्य सम्बन्ध और अंतर्राज्य परिषद केन्द्र-राज्य सम्बन्ध- सांविधानिक प्रावधान अनुच्छेद 246:- संसद को सातवीं अनुसूची की सूची 1 में प्रगणित विषयों पर विधि बनाने की शक्ति। अनुच्छेद 248:- अवशिष्ट शक्तियां संसद के पास अनुच्छेद 249:-राज्य सूची के विषय के सम्बन्ध में राष्ट्रीय हित में विधि बनाने की शक्ति संसद के पास अनुच्छेद 250:- यदि आपातकाल की उद्घोषणा प्रवर्तन में हो तो राज्य सूची के विषय के सम्बन्ध में विधि बनाने की संसद की शक्ति अनुच्छेद 252:- दो या अधिक राज्यों के लिए उनकी सहमति से विधि बनाने की संसद की शक्ति अनुच्छेद 257:- संघ की कार्यपालिका किसी राज्य को निदेश दे सकती है अनुच्छेद 257 क:- संघ के सशस्त्र बलों या अन्य बलों के अभिनियोजन द्वारा राज्यों की सहायता अनुच्छेद 263:- अन्तर्राज्य परिषद का प्रावधान भारत के संविधान ने केन्द्र-राज्य सम्बन्ध के बीच शक्तियों के वितरण की निश्चित और सुस्पष्ट योजना अपनायी है। संविधान के आधार पर संघ तथा राज्यों के सम्बन्धों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है: 1. केन्द्र तथा राज्यों के बीच विधायी सम्बन्ध। 2. केन्द्र तथा राज्यों के बीच प्र...

भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण |Indian Constituent Assembly and Constitution making

  भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण |Indian Constituent Assembly and Constitution making संविधान निर्माण की सर्वप्रथम मांग बाल गंगाधर तिलक द्वारा 1895 में "स्वराज विधेयक" द्वारा की गई। 1916 में होमरूल लीग आन्दोलन चलाया गया।जिसमें घरेलू शासन सचांलन की मांग अग्रेजो से की गई। 1922 में गांधी जी ने संविधान सभा और संविधान निर्माण की मांग प्रबलतम तरीके से की और कहा- कि जब भी भारत को स्वाधीनता मिलेगी भारतीय संविधान का निर्माण -भारतीय लोगों की इच्छाओं के अनुकुल किया जाएगा। अगस्त 1928 में नेहरू रिपोर्ट बनाई गई। जिसकी अध्यक्षता पं. मोतीलाल नेहरू ने की। इसका निर्माण बम्बई में किया गया। इसके अन्तर्गत ब्रिटीश भारत का पहला लिखित संविधान बनाया गया। जिसमें मौलिक अधिकारों अल्पसंख्यकों के अधिकारों तथा अखिल भारतीय संघ एवम् डोमिनियम स्टेट के प्रावधान रखे गए। इसका सबसे प्रबलतम विरोध मुस्लिम लीग और रियासतों के राजाओं द्वारा किया गया। 1929 में जवाहर लाला नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर सम्मेलन हुआ। जिसमें पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई। 1936 में कांग्रेस का फैजलपुर सम्मेलन आयोजित किया गय...

गांधी की जीवनी एवं विचार/गांधीवाद (Gandhism)/ आधुनिक भारतीय विचारक /Biography and Thoughts of Mahatama Gandhi

 गांधीवाद (Gandhism)/ आधुनिक भारतीय विचारक /Deep study on Mahatama Gandhi गांधीवाद (Gandhism) बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में भारतीय राजनीतिक आन्दोलन में एक ऐसे व्यक्ति का प्रवेश हुआ जिसने पूरी भारतीय राजनीति को अपनी छवि से ढक लिया। यदि कहा जाए कि सम्पूर्ण भारतीय जनता को एक सूत्र में बाँधने का श्रेय गांधी जी को जाता है तो यह अतिश्योक्ति न होगी। गांधी एक ऐसे विचारक हैं जिन्होंने स्वयं अपने दर्शन का निर्माण नहीं किया, बल्कि पूर्व के दार्शनिक विचारों को अपने जीवन के व्यवहार में लाने का प्रयत्न किया। वह स्वयं कहा करते थे कि मैं किसी नवीन विचारधारा का प्रतिपादन नहीं कर रहा हूँ अपितु जो कुछ अच्छा है उसे में भारत की परिस्थिति के अनुसार व्यवहार में लाना चाहता हूँ सत्य और अहिंसा के विचार उतने ही पुराने हैं जितनी पुरानी पहाड़ियाँ हैं। श्री पटाभिसीता रमेया ने लिखा है कि "सिद्धान्तों का, मतों का, नियमों का, विनियमों का और प्रदेशों का समूह नहीं है प्रत्युत वह एक जीवन शैली या जीवन दर्शन है। यह शैली एक नई दिशा की ओर संकेत रकती है अथवा मनुष्य जीवन की समस्याओं के विषय में पुरानी दशा की पुनः स्था...

विनायक दामोदर सावरकर की जीवनी एवं विचार/Biography and Thoughts of Vinayak Damodar Savarkar

   विनायक दामोदर सावरकर/Vinayak Damodar Savarkar विनायक दामोदर सावरकर विनायक दामोदर सावरकर का जन्म महाराष्ट्र (आधुनिक मुम्बई) प्रान्त के नासिक के निकट भागुर गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम दामोदर पन्त सावरकर एवं माता का नाम राधाबाई था। विनायक दामोदर सावरकर की पारिवारिक स्थिति आर्थिक क्षेत्र में ठीक नहीं थी। सावरकर ने पुणे से ही अपनी क्रान्तिकारी प्रवृत्ति की झलक दिखानी शुरू कर दी थी जिसमें 1908 ई. में स्थापित अभिनवभारत एक क्रान्तिकारी संगठन था। लन्दन में भी ये कई शिखर नेताओं (जिनमें लाला हरदयाल) से मिले और ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों का संचालन करते रहे। सावरकर की इन्हीं गतिविधियों से रुष्ट होकर ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें दो बार 24 दिसम्बर, 1910 को और 31 जनवरी, 1911 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई जो विश्व के इतिहास की पहली एवं अनोखी सजा थी। विनायक दामोदर द्वारा लिखित पुस्तकें (1) माई ट्रांसपोर्टेशन फॉर लाइफ (ii) हिन्दू-पद पादशाही (iii) हिन्दुत्व (iv) द बार ऑफ इण्डियन इण्डिपेण्डेन्स ऑफ 1851 सावरकर के ऊपर कलेक्टर जैक्सन की हत्या का आरोप लगाया गया जिसे नासिक षड्यंत्र केस में ना...