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भारत की संघीय विधायिका | Federal legislature of india

 


  • भारत में केंद्रीय व्यवस्थापिका को संसद के नाम से भी जाना जाता है।
  • भारतीय संसद का गठन लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति को मिलाकर होता है।
  • राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है क्योंकि उसके हस्ताक्षर के बाद ही कोई विधेयक कानून बनता है।
  • राज्यसभा
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 80 संसद के उच्च सदन के रूप में राज्यसभा का उल्लेख करता है।
  • राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है, इसके सदस्यों की वर्तमान संख्या 245 है।
  • 233 सदस्यों का चुनाव, 28 राज्यों तथा दिल्ली और पांडिचेरी दो केंद्र शासित प्रदेशों के विधानमंडलों​ द्वारा किया जाता है। शेष 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है।
  • मनोनीत किए जाने वाले सदस्यों के लिए यह आवश्यक है कि वह कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा तथा खेल के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान रखता हो।
  • राज्यसभा सदस्यों का चुनाव 6 वर्ष के लिए होता है।
  • यह एक स्थायी सदन है जो कभी भंग नहीं किया जा सकता । प्रत्येक दो वर्ष बाद इसके एक तिहाई सदस्य अवकाश ग्रहण करते है और उनके स्थान पर नये सदस्य चुने जाते हैं।
  • राज्यसभा में भी विपक्ष के नेता को केबिनेट मंत्री का दर्ज़ा प्राप्त होता है।
  • राष्ट्रपति वर्ष में कम से कम दो बार राज्यसभा का अधिवेशन बुलाता है।
  • राज्यसभा की अंतिम बैठक तथा नये सत्र की प्रथम बैठक के बीच में छह महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।
  • राज्यसभा सदस्य की अनिवार्य योग्यताएं
  • वह भारत का नागरिक हो।
  • उसकी आयु 30 वर्ष से कम नहीं हो।
  • वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर नहीं हो।
  • वह पागल या दिवालिया न हो।
  • जिस राज्य का प्रतिनिधित्व पाना चाहता है उस राज्य के किसी संसदीय क्षेत्र का मतमतदाता हो।
  • सभापति
  • उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
  • राज्यसभा के सदस्यों में से एक उपसभापति का चुनाव किया जाता है।
  • सभापति (उपराष्ट्रपति) की अनुपस्थिति में उपसभापति सभापति के कर्तव्यों का पालन करता है।
  • राज्यसभा की शक्तियां और कार्य
  • राज्यसभा लोकसभा के साथ मिलकर कानून बनाती है, संविधान में संशोधन करती है। संसद का अभिन्न अंग होने के कारण इसकी सहमति के बिना कोई विधेयक कानून नहीं बन सकता केवल राज्यसभा को यह अधिकार प्राप्त है कि वह संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन कर सके।
  • केवल राज्यसभा को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अनुच्छेद 249 के तहत राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर सके; ऐसे में संसद राज्य सूची के उस विषय पर भी कानून बना सकती है। एक माह से अधिक यदि आपातकाल लागू रखना हो तो उस प्रस्ताव का अनुमोदन लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों से होना जरूरी है।
  • लोकसभा
  • संविधान के अनुच्छेद 81 के तहत लोकसभा का गठन पांच वर्ष के लिए होता है।
  • यह भारतीय संसद का निम्न सदन होता है।
  • लोकसभा में जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने गए प्रतिनिधि भाग लेते हैं।
  • लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 हो सकती है, वर्तमान में लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 है।
  • 543 सदस्य विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से गुप्त मतदान प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाते हैं।
  • आंग्ल भारतीय समुदाय के दो सदस्यों को राष्ट्रपति लोकसभा के लिए मनोनीत कर सकता है यदि उनके मत में उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला हो।
  • लोकसभा सदस्य के लिए योग्यताएं
  • वह भारत का नागरिक हो।
  • उसकी आयु 25 वर्ष से कम न हो।
  • वह भारत या राज्य सरकार के अधीन लाभ के पद पर न हो।
  • वह पागल या दिवालिया न हो।
  • कार्यकाल
  • लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है किंतु​ प्रधानमंत्री के परामर्श पर राष्ट्रपति इसे समय से पहले ही भंग कर सकता है।
  • पदाधिकारी लोकसभा की शक्तियां एवं कार्य
  • राज्यसभा तथा राष्ट्रपति के साथ मिलकर लोकसभा कानून बनाती है।
  • लोकसभा बजट पारित करती है।
  • कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं इसका फैसला लोकसभा अध्यक्ष करता है।
  • लोकसभा राज्यसभा के साथ मिलकर संविधान में संशोधन करती है।
  • लोकसभा सदस्यों के माध्यम से मंत्रियों पर नियंत्रण रख कर उन्हें उनके दायित्वों के प्रति सतर्क बनाए रखती है। मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी रहती। किसी एक मंत्री के खिलाफ अविश्वास का मतलब पूरे प्रत्येक मंत्री सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होता है; किंतु वह प्रधानमंत्री के प्रति व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है।
  • लोकसभा राज्यसभा तथा विधानसभाओं के साथ मिलकर राष्ट्रपति का चुनाव करती है। जबकि उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में राज्य विधानसभाएं भाग नहीं ले सकतीं।
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      राजनीति विज्ञान के 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 1. दार्शनिक राजा का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था ? उत्तर. प्लेटो ने। 2. संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान महासचिव हैं ? उत्तर. एंटोनियो गुटेरेश है जो पुर्तगाल के हैं, जिन्होने 1 जनवरी 2017 को अपना कार्यकाल सँभाला 3. श्रेणी समाजवाद का संबंध निम्नलिखित में से किस देश से रहा है ? उत्तर. बिर्टेन से। 4. राज्य की उत्पत्ति का दैवीय सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था ? उत्तर. जेम्स प्रथम ने 5. मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है? उत्तर. राष्ट्रपति 6. संसद का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी की न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए? उत्तर. 25 वर्ष 7. भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा प्रस्तावना में दो शब्द ‘समाजवादी’ और धर्मनिरपेक्ष जोड़े गए थे? उत्तर. 42वें 8. भारतीय संविधान के कौनसे भाग में नीति निदेशक तत्वों का वर्णन है ? उत्तर. चतुर्थ। 9. जस्टिस शब्द जस से निकला है जस का संबंध किस भाषा से है ? उत्तर. लैटिन 10. पंचायत समिति का गठन होता है? उत्तर. प्रखंड स्तर पर 11. “मेरे पास खून, पसीना और आँसू के अतिरिक्त देने के लिए कुछ भी नहीं है ” यह किस...

    केन्द्र-राज्य सम्बन्ध और अंतर्राज्य परिषद | Center-State Relations and Inter-State Council

      केन्द्र-राज्य सम्बन्ध और अंतर्राज्य परिषद केन्द्र-राज्य सम्बन्ध- सांविधानिक प्रावधान अनुच्छेद 246:- संसद को सातवीं अनुसूची की सूची 1 में प्रगणित विषयों पर विधि बनाने की शक्ति। अनुच्छेद 248:- अवशिष्ट शक्तियां संसद के पास अनुच्छेद 249:-राज्य सूची के विषय के सम्बन्ध में राष्ट्रीय हित में विधि बनाने की शक्ति संसद के पास अनुच्छेद 250:- यदि आपातकाल की उद्घोषणा प्रवर्तन में हो तो राज्य सूची के विषय के सम्बन्ध में विधि बनाने की संसद की शक्ति अनुच्छेद 252:- दो या अधिक राज्यों के लिए उनकी सहमति से विधि बनाने की संसद की शक्ति अनुच्छेद 257:- संघ की कार्यपालिका किसी राज्य को निदेश दे सकती है अनुच्छेद 257 क:- संघ के सशस्त्र बलों या अन्य बलों के अभिनियोजन द्वारा राज्यों की सहायता अनुच्छेद 263:- अन्तर्राज्य परिषद का प्रावधान भारत के संविधान ने केन्द्र-राज्य सम्बन्ध के बीच शक्तियों के वितरण की निश्चित और सुस्पष्ट योजना अपनायी है। संविधान के आधार पर संघ तथा राज्यों के सम्बन्धों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है: 1. केन्द्र तथा राज्यों के बीच विधायी सम्बन्ध। 2. केन्द्र तथा राज्यों के बीच प्र...

    भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण |Indian Constituent Assembly and Constitution making

      भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण |Indian Constituent Assembly and Constitution making संविधान निर्माण की सर्वप्रथम मांग बाल गंगाधर तिलक द्वारा 1895 में "स्वराज विधेयक" द्वारा की गई। 1916 में होमरूल लीग आन्दोलन चलाया गया।जिसमें घरेलू शासन सचांलन की मांग अग्रेजो से की गई। 1922 में गांधी जी ने संविधान सभा और संविधान निर्माण की मांग प्रबलतम तरीके से की और कहा- कि जब भी भारत को स्वाधीनता मिलेगी भारतीय संविधान का निर्माण -भारतीय लोगों की इच्छाओं के अनुकुल किया जाएगा। अगस्त 1928 में नेहरू रिपोर्ट बनाई गई। जिसकी अध्यक्षता पं. मोतीलाल नेहरू ने की। इसका निर्माण बम्बई में किया गया। इसके अन्तर्गत ब्रिटीश भारत का पहला लिखित संविधान बनाया गया। जिसमें मौलिक अधिकारों अल्पसंख्यकों के अधिकारों तथा अखिल भारतीय संघ एवम् डोमिनियम स्टेट के प्रावधान रखे गए। इसका सबसे प्रबलतम विरोध मुस्लिम लीग और रियासतों के राजाओं द्वारा किया गया। 1929 में जवाहर लाला नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर सम्मेलन हुआ। जिसमें पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई। 1936 में कांग्रेस का फैजलपुर सम्मेलन आयोजित किया गय...

    गांधी की जीवनी एवं विचार/गांधीवाद (Gandhism)/ आधुनिक भारतीय विचारक /Biography and Thoughts of Mahatama Gandhi

     गांधीवाद (Gandhism)/ आधुनिक भारतीय विचारक /Deep study on Mahatama Gandhi गांधीवाद (Gandhism) बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में भारतीय राजनीतिक आन्दोलन में एक ऐसे व्यक्ति का प्रवेश हुआ जिसने पूरी भारतीय राजनीति को अपनी छवि से ढक लिया। यदि कहा जाए कि सम्पूर्ण भारतीय जनता को एक सूत्र में बाँधने का श्रेय गांधी जी को जाता है तो यह अतिश्योक्ति न होगी। गांधी एक ऐसे विचारक हैं जिन्होंने स्वयं अपने दर्शन का निर्माण नहीं किया, बल्कि पूर्व के दार्शनिक विचारों को अपने जीवन के व्यवहार में लाने का प्रयत्न किया। वह स्वयं कहा करते थे कि मैं किसी नवीन विचारधारा का प्रतिपादन नहीं कर रहा हूँ अपितु जो कुछ अच्छा है उसे में भारत की परिस्थिति के अनुसार व्यवहार में लाना चाहता हूँ सत्य और अहिंसा के विचार उतने ही पुराने हैं जितनी पुरानी पहाड़ियाँ हैं। श्री पटाभिसीता रमेया ने लिखा है कि "सिद्धान्तों का, मतों का, नियमों का, विनियमों का और प्रदेशों का समूह नहीं है प्रत्युत वह एक जीवन शैली या जीवन दर्शन है। यह शैली एक नई दिशा की ओर संकेत रकती है अथवा मनुष्य जीवन की समस्याओं के विषय में पुरानी दशा की पुनः स्था...

    विनायक दामोदर सावरकर की जीवनी एवं विचार/Biography and Thoughts of Vinayak Damodar Savarkar

       विनायक दामोदर सावरकर/Vinayak Damodar Savarkar विनायक दामोदर सावरकर विनायक दामोदर सावरकर का जन्म महाराष्ट्र (आधुनिक मुम्बई) प्रान्त के नासिक के निकट भागुर गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम दामोदर पन्त सावरकर एवं माता का नाम राधाबाई था। विनायक दामोदर सावरकर की पारिवारिक स्थिति आर्थिक क्षेत्र में ठीक नहीं थी। सावरकर ने पुणे से ही अपनी क्रान्तिकारी प्रवृत्ति की झलक दिखानी शुरू कर दी थी जिसमें 1908 ई. में स्थापित अभिनवभारत एक क्रान्तिकारी संगठन था। लन्दन में भी ये कई शिखर नेताओं (जिनमें लाला हरदयाल) से मिले और ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों का संचालन करते रहे। सावरकर की इन्हीं गतिविधियों से रुष्ट होकर ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें दो बार 24 दिसम्बर, 1910 को और 31 जनवरी, 1911 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई जो विश्व के इतिहास की पहली एवं अनोखी सजा थी। विनायक दामोदर द्वारा लिखित पुस्तकें (1) माई ट्रांसपोर्टेशन फॉर लाइफ (ii) हिन्दू-पद पादशाही (iii) हिन्दुत्व (iv) द बार ऑफ इण्डियन इण्डिपेण्डेन्स ऑफ 1851 सावरकर के ऊपर कलेक्टर जैक्सन की हत्या का आरोप लगाया गया जिसे नासिक षड्यंत्र केस में ना...