भारत का महान्यायवादी
भारत का महान्यायवादी न तो संसद का सदस्य होता है और न ही मंत्रिमंडल का सदस्य होता है. लेकिन वह किसी भी सदन में अथवा उनकी समितियों में बोल सकता है, किन्तु उससे मत देने का अधिकार नहीं है. भारत का महान्यायवादी (अनुच्छेद 76)
(1) महान्यायवादी सर्वप्रथम भारत सरकार का विधि अधिकारी होता है.(2) भारत का महान्यायवादी न तो संसद का सदस्य होता है और न ही मंत्रिमंडल का सदस्य होता है. लेकिन वह किसी भी सदन में अथवा उनकी समितियों में बोल सकता है, किन्तु उससे मत देने का अधिकार नहीं है. (अनुच्छेद 88)(3) महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है.(4) महान्यायवादी बनने के लिए वही अर्हताएं होनी चाहिए जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए होती हैं.(5) महान्यायवादी को भारत के राज्य क्षेत्र के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार है.महान्यायवादी और कार्यकाल
एम सी सीतलवाड़ (सबसे लंबा कार्यकाल) :- 28 जनवरी 1950 से 01 मार्च 1963 तकसी.के. दफ्तरी :- 02 मार्च 1963 से 030 अक्टूबर 1968 तकनिरेन डे :- 01 नवम्बर 1968 से 31 मार्च 1977 तकएस वी गुप्ते :- 01 अप्रैल 1977 से 08 अगस्त 1979 तकएल.एन. सिन्हा :- 09 अगस्त 1979 से 08 अगस्त 1983 तकके परासरण :- 09 अगस्त 1983 से 08 दिसम्बर 1989 तकसोली सोराबजी (सबसे छोटा कार्यकाल) :- 09 दिसम्बर 1989 से 02 दिसम्बर 1990 तकजी रामास्वामी :- 03 दिसम्बर 1990 से 023 नवम्बर 1992 तकमिलन के. बनर्जी :- 21 नवम्बर 1992 से 08 जुलाई 1996 तकअशोक देसाई :- 09 जुलाई 1996 से 06 अप्रैल 1998 तकसोली सोराबजी :- 07 अप्रैल 1998 से 04 जून 2004 तकमिलन के. बनर्जी :- 05 जून 2004 से 07 जून 2009 तकगुलाम एस्सजी वाहनवति :- 08 जून 2009 से 11 जून 2014 तकमुकुल रोहतगी :- 12 जून 2014 से 30 जून 2017 तकके.के. वेणुगोपाल :- 30 जून 2017 से अभी तक
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