Skip to main content

भारत के संविधान की अनुसूचियाँ | Schedules of the Constitution of India

 


संविधान को 26 नवम्बर 1949 जब संविधान सभा द्वारा पारित किया गया तब भारतीय संविधान में कुल 22 भाग, और 8 अनुसूचियां थीं । वर्तमान में संविधान में ये 22 भाग ,395 अनुच्छेद मूल संविधान में संवैधानिक संशोधनों के बाद अनुसूचियां की संख्या 12 हो गई है । संविधान संशोधन अधिनियम, 1992के अंतर्गत क्रमशः संविधान के 73वें और 74वें संशोधन द्वारा 11वीं एवं 12वीं अनुसूची को संविधान में जोड़ा गया हैं। नीचे भारत के संविधान की अनुसूचियाँ ,भाग एवं अनुच्छेद दिया गया है

भारत के संविधान की अनुसूचियाँ की सूची

1) प्रथम अनुसूची :- इसके अंतर्गत भारत के 29 राज्य तथा 7 केंद्र शासित प्रदेशो का उल्लेख किया गया है|
2) दूसरी अनुसूची : इसमें भारतीय संघ के पदाधिकारियों (राष्ट्रपति ,राज्यपाल ,लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष , राजसभा के सभापति एवं उपसभापति ,विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष,विधान परिषद् के सभापति एवं उपसभापति,उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियत्रंक महालेखा परीक्षक आदि ) को मिलने वाले वेतन, भत्ते तथा पेंशन का उल्लेख है |
3) तीसरी अनुसूची :- इसमें भारत के विभिन्न पदाधिकारियों(राष्ट्रपति , उप राष्ट्रपति , उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों ) की शपथ का उल्लेख है|
4) चौथी अनुसूची :- इसके अंतर्गत राज्यों तथा संघीय क्षेत्रो की राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है|
5) पाँचवी अनुसूची :- इसमें अनुसूचित क्षेत्रों तथा अनुसूचित जनजाति के प्रशासन व नियंत्रण के बारे में उल्लेख है|
6) छठी अनुसूची :- इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान हैं|
7) सातवी अनुसूची :- इसके अंतर्गत केंद्र व राज्यों के बीच शक्तियों का बटवारे के बारे में दिया गया है| इसके अंतर्गत तीन सूचियां है :-
i) संघ सूची :- इसके अंतर्गत 100 विषय है| इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केवल केंद्र को है | संविधान के लागू होने के समय इसमे 97 विषय थे |
ii) राज्य सूची :- इस सूची में 61 विषय है| जिन पर कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य को है| लेकिन राष्ट्रहित से सम्बन्धित मामलो में केंद्र भी कानून बना सकता है | संविधान के लागू होने के समय इसमे 66 विषय थे |
iii) समवर्ती सूची :- इसके अंतर्गत 52 विषय है| इन पर केंद्र व राज्य दोनों कानून बना सकते है|परन्तु कानून के विषय समान होने पर केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून मान्य होता है|राज्य द्वारा बनाया गया कनून केंद्र द्वारा बनाने के बाद समाप्त हो जाता है| संविधान के लागू होने के समय इसमे 47 विषय थे |
8) आठवी अनुसूची :- इसमें भारतीय संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है| मूल संविधान में 14 मान्यता प्राप्त भाषाए थी | सन 2004 में चार नई भाषाए मैथली, संथाली, डोगरी और बोडो को इसमें शामिल किया गया |
9) नौंवी अनुसूची :- यह अनुसूची प्रथम संविधान संसोधन अधिनियम 1951 द्वारा जोड़ी गयी थी| इस अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती| लेकिन यदि कोई विषय मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करे तो उच्चतम न्यायालय इस कानून की समीक्षा कर सकता है| अभी तक नौंवी अनुसूची में 283 अधिनियम है, जिनमे राज्य सरकार द्वारा सम्पति अधिकरण का उल्लेख प्रमुख है|
10) दसवी अनुसूची :- इसे 52वें संविधान संशोधन अधिनियम 1985 द्वारा मूल संविधान में जोड़ा गया| इस अनुसूची में दल-बदल सम्बन्धित कानूनों का उल्लेख किया गया है|
11) ग्यारहवी अनुसूची :- यह अनुसूची 73वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा मूल संविधान में जोड़ा गया| यह अनुसूची पंचायती राज से सम्बन्धित है, जिसमे पंचायती राज से सम्बन्धित 29 विषय है|
12) बारहवी अनुसूची :- यह अनुसूची 74वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा मूल संविधान में जोड़ा गया| इसमें शहरी क्षेत्रों के स्थानीय स्वशासन संस्थानों से सम्बन्धित 18 विषय है|

            जानकारी अच्छी लगी तो किर्पया शेयर जरूर करें 

Comments

Popular posts from this blog

मौलिक अधिकार | Fundamental Rights

भाग -3 मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 तक) (अमेरिका से लिये) मौलिक अधिकारों से तात्पर्य वे अधिकार जो व्यक्तियों के सर्वागिण विकास के लिए आवश्यक होते है इन्हें राज्य या समाज द्वारा प्रदान किया जाता है।तथा इनके संरक्षण कि व्यवस्था की जाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसम्बर 1948 को वैश्विक मानवाधिकारो की घोषणा की गई इसलिए प्रत्येक 10 दिसम्बर को विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। भारतीय संविधान में 7 मौलिक अधिकारों का वर्णन दिया गया था। समानता का अधिकारा - अनुच्छेद 14 से 18 तक स्वतंन्त्रता का अधिकार - अनुच्छेद 19 से 22 तक शोषण के विरूद्ध अधिकार - अनुच्छेद 23 व 24 धार्मिक स्वतंन्त्रता का अधिकार - अनुच्छेद 25 से 28 तक शिक्षा एवम् संस्कृति का अधिकार - अनुच्छेद 29 और 30 सम्पति का अधिकार - अनुच्छेद 31 सवैधानिक उपचारो का अधिकार - अनुच्छेद 32 अनुच्छेद - 12 राज्य की परिभाषा अनुच्छेद - 13 राज्य मौलिक अधिकारों का न्युन(अतिक्रमण) करने विधियों को नहीं बनाऐंगा। 44 वें संविधान संशोधन 1978 द्वारा "सम्पति के मौलिक अधिकार" को इस श्रेणी से हटाकर "सामान्य विधिक अधिकार" ब

भारतीय संविधान के विकास का इतिहास | History of development of Indian constitution

  1757 ई. की प्लासी की लड़ाई और 1764 ई. बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन का शिकंजा कसा. इसी शासन को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए अंग्रेजों ने समय-समय पर कई एक्ट पारित किए, जो भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियां बनीं. वे निम्न हैं: 1. 1773 ई. का रेग्‍यूलेटिंग एक्ट:  इस एक्ट के अंतर्गत कलकत्ता प्रेसिडेंसी में एक ऐसी सरकार स्थापित की गई, जिसमें गवर्नर जनरल और उसकी परिषद के चार सदस्य थे, जो अपनी सत्ता का उपयोग संयुक्त रूप से करते थे. इसकी मुख्य बातें इस प्रकार हैं - (i)  कंपनी के शासन पर संसदीय नियंत्रण स्थापित किया गया. (ii)  बंगाल के गवर्नर को तीनों प्रेसिडेंसियों का जनरल नियुक्त किया गया. (iii)  कलकत्ता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई. 2. 1784 ई. का पिट्स इंडिया एक्ट:  इस एक्ट के द्वारा दोहरे प्रशासन का प्रारंभ हुआ- (i) कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स - व्यापारिक मामलों के लिए (ii) बोर्ड ऑफ़ कंट्रोलर- राजनीतिक मामलों के लिए. 3. 1793 ई. का चार्टर अधिनियम:  इसके द्वारा नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों तथा कर्मचारियों के वेतन आदि को भारतीय

भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण |Indian Constituent Assembly and Constitution making

  भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण |Indian Constituent Assembly and Constitution making संविधान निर्माण की सर्वप्रथम मांग बाल गंगाधर तिलक द्वारा 1895 में "स्वराज विधेयक" द्वारा की गई। 1916 में होमरूल लीग आन्दोलन चलाया गया।जिसमें घरेलू शासन सचांलन की मांग अग्रेजो से की गई। 1922 में गांधी जी ने संविधान सभा और संविधान निर्माण की मांग प्रबलतम तरीके से की और कहा- कि जब भी भारत को स्वाधीनता मिलेगी भारतीय संविधान का निर्माण -भारतीय लोगों की इच्छाओं के अनुकुल किया जाएगा। अगस्त 1928 में नेहरू रिपोर्ट बनाई गई। जिसकी अध्यक्षता पं. मोतीलाल नेहरू ने की। इसका निर्माण बम्बई में किया गया। इसके अन्तर्गत ब्रिटीश भारत का पहला लिखित संविधान बनाया गया। जिसमें मौलिक अधिकारों अल्पसंख्यकों के अधिकारों तथा अखिल भारतीय संघ एवम् डोमिनियम स्टेट के प्रावधान रखे गए। इसका सबसे प्रबलतम विरोध मुस्लिम लीग और रियासतों के राजाओं द्वारा किया गया। 1929 में जवाहर लाला नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर सम्मेलन हुआ। जिसमें पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई। 1936 में कांग्रेस का फैजलपुर सम्मेलन आयोजित किया गय

निति आयोग और वित्त आयोग |NITI Ayog and Finance Commission

  निति आयोग और वित्त आयोग यह एक गैर संवैधानिक निकाय है | National Institution for Transforming India( NITI Aayog )(राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) इसकी स्थापना 1 जनवरी 2015 को हुई | मुख्यालय – दिल्ली भारत सरकार का मुख्य थिंक-टैंक है| जिसे योजना आयोग के स्‍थान पर बनाया गया है इस आयोग का कार्य सामाजिक व आर्थिक मुद्दों पर सरकार को सलाह देने का है जिससे सरकार ऐसी योजना का निर्माण करे जो लोगों के हित में हो। निति आयोग को 2 Hubs में बाटा गया है 1) राज्यों और केंद्र के बीच में समन्वय स्थापित करना | 2) निति आयोग को बेहतर बनाने का काम | निति आयोग की संरचना : 1. भारत के प्रधानमंत्री- अध्यक्ष। 2. गवर्निंग काउंसिल में राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रशासित प्रदेशों(जिन केन्द्रशासित प्रदेशो में विधानसभा है वहां के मुख्यमंत्री ) के उपराज्यपाल शामिल होंगे। 3. विशिष्ट मुद्दों और ऐसे आकस्मिक मामले, जिनका संबंध एक से अधिक राज्य या क्षेत्र से हो, को देखने के लिए क्षेत्रीय परिषद गठित की जाएंगी। ये परिषदें विशिष्ट कार्यकाल के लिए बनाई जाएंगी। भारत के प्रधानमंत्री के निर्देश पर क्षेत्रीय परिषदों की बैठक हो

भारतीय संविधान के भाग |Part of Indian Constitution

  भाग 1  संघ और उसके क्षेत्र- अनुच्छेद 1-4 भाग 2  नागरिकता- अनुच्छेद 5-11 भाग 3  मूलभूत अधिकार- अनुच्छेद 12 - 35 भाग 4  राज्य के नीति निदेशक तत्व- अनुच्छेद 36 - 51 भाग 4 A  मूल कर्तव्य- अनुच्छेद 51A भाग 5  संघ- अनुच्छेद 52-151 भाग 6  राज्य- अनुच्छेद 152 -237 भाग 7  संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम,- 1956 द्वारा निरसित भाग 8  संघ राज्य क्षेत्र- अनुच्छेद 239-242 भाग 9  पंचायत - अनुच्छेद 243- 243O भाग 9A  नगर्पालिकाएं- अनुच्छेद 243P - 243ZG भाग 10  अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र- अनुच्छेद 244 - 244A भाग 11  संघ और राज्यों के बीच संबंध- अनुच्छेद 245 - 263 भाग 12  वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद -अनुच्छेद 264 -300A भाग 13  भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम- अनुच्छेद 301 - 307 भाग 14  संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं- अनुच्छेद 308 -323 भाग 14A  अधिकरण- अनुच्छेद 323A - 323B भाग 15 निर्वाचन- अनुच्छेद 324 -329A भाग 16  कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध संबंध- अनुच्छेद 330- 342 भाग 17  राजभाषा- अनुच्छेद 343- 351 भाग 18  आपात उपबंध अनुच्छेद- 352 - 360 भाग 19  प्रकीर्ण- अनुच्छेद 361 -367

संविधान की प्रस्तावना प्रस्तावना संविधान के लिए एक परिचय के रूप में कार्य |Preamble to the Constitution Preamble Acts as an introduction to the Constitution

  प्रस्तावना उद्देशिका संविधान के आदर्शोँ और उद्देश्योँ व आकांक्षाओं का संछिप्त रुप है। अमेरिका का संविधान प्रथम संविधान है, जिसमेँ उद्देशिका सम्मिलित है। भारत के संविधान की उद्देशिका जवाहरलाल नेहरु द्वारा संविधान सभा मेँ प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव पर आधारित है। उद्देश्यिका 42 वेँ संविधान संसोधन (1976) द्वारा संशोधित की गयी। इस संशोधन द्वारा समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्द सम्मिलित किए गए। प्रमुख संविधान विशेषज्ञ एन. ए. पालकीवाला ने प्रस्तावना को  संविधान का परिचय पत्र  कहा है। हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिक को : सामाजिक, आर्थिक, और राजनैतिक नयाय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब मेँ व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा मेँ आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत २००६ विक्रमी) को एतद् द्वारा

भारतीय संविधान के विदेशी स्रोत कौन कौन से है |Which are the foreign sources of Indian constitution

  भारतीय संविधान के अनेक देशी और विदेशी स्त्रोत हैं, लेकिन भारतीय संविधान पर सबसे अधिक प्रभाव भारतीय शासन अधिनियम 1935 का है। भारत के संविधान का निर्माण 10 देशो के संविधान से प्रमुख तथ्य लेकर बनाया गया है। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।भारत के संविधान के निर्माण में निम्न देशों के संविधान से सहायता ली गई है: संयुक्त राज्य अमेरिका:  मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उपराष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात, न्यायपालिका की स्वतंत्रता ब्रिटेन:  संसदात्मक शासन-प्रणाली, एकल नागरिकता एवं विधि निर्माण प्रक्रिया, विधि का शासन, मंत्रिमंडल प्रणाली, परमाधिकार लेख, संसदीय विशेषाधिकार और द्विसदनवाद आयरलैंड:  नीति निर्देशक सिद्धांत, राष्ट्रपति के निर्वाचक-मंडल की व्यवस्था, राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में साहित्य, कला, विज्ञान तथा समाज-सेवा इत्यादि के क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त व्यक्तियों का मनोनयन ऑस्ट्रेलिया:  प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूच

डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जीवनी एवं विचार/Biography and Thoughts of Dr. Bhimrao Ambedkar

   डॉ. भीमराव अम्बेडकर  की जीवनी एवं विचार/Biography and Thoughts of  Dr. Bhimrao Ambedkar डॉ. भीमराव अम्बेडकर डॉ. अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 में महाराष्ट्र में हुआ था। इन्होंने 1907 ई. में हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद बड़ीदा के महाराज ने उच्च शिक्षण प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की। तत्पश्चात् 1919 ई. में इन्होंने अमेरिका के कोलम्विया विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो. सेल्गमैन उनके प्राध्यापक थे। इसके उपरान्त डॉक्टरेट के लिए अम्बेडकर ने लन्दन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में एडमिशन लिया।      अम्बेडकर साहब का जन्म चूँकि एक अस्पृश्य परिवार में हुआ था जिस कारण इस घटना ने इनके जीवन को बहुत ही ज्यादा प्रभावित किया जिससे ये भारतीय समाज की जाति व्यवस्था के विरोध में आगे आए। डॉ. अम्बेडकर ने 1925 ई. में एक पाक्षिक समाचार पत्र 'बहिष्कृत भारत' का प्रकाशन बम्बई से प्रारम्भ किया। इसके एक वर्ष पश्चात् (1924 ई. में) इन्होंने 'बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की। इनके अलावा कुछ संस्थाएँ और थी- समता सैनिक दल, स्वतन्त्र लेबर पार्टी, अनुसूचित जाति

भारतीय संविधान के अनुच्छेद | Article of Indian Constitution Article: - Description

  अनुच्‍छेद :- विवरण 1:-  संघ का नाम और राज्‍य क्षेत्र 2:-  नए राज्‍यों का प्रवेश या स्‍थापना 2क:-  [निरसन] 3:-  नए राज्‍यों का निर्माण और वर्तमान राज्‍यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन 4:-  पहली अनुसूची और चौथी अनुसूचियों के संशोधन तथा अनुपूरक, और पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्‍छेद 2 और अनुच्‍छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियां 5:-  संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता 6:-  पाकिस्‍तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्‍यक्तियों के नागरिकता के अधिकार 7:-  पाकिस्‍तान को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्‍यक्तियों के नागरिकता के अधिकार 8:-  भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्भव के कुछ व्‍यक्तियों के नागरिकता के अधिकार 9:-  विदेशी राज्‍य की नागरिकता, स्‍वेच्‍छा से अर्जित करने वाले व्‍यक्तियों का नागरिक न होना 10:-  नागरिकता के अधिकारों को बना रहना 11:-  संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना 12:-  परिभाषा 13:-  मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्‍पीकरण करने वाली विधियां 14:-  विधि के समक्ष समानता 15:-  धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्‍म स्‍थान के आधार पर विभेद क

हीगल की जीवनी एवं विचार (Biography and Thoughts of Hegel)/हीगल की रचनाएँ/विश्वात्मा पर विचार /विश्वात्मा पर विचार / जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल

  जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल  हीगल (Hegel) जर्मन आदर्शवादियों में होगल का नाम शीर्षस्य है। इनका पूरा नाम जार्ज विल्हेम फ्रेडरिक हीगल था। 1770 ई. में दक्षिण जर्मनी में बर्टमवर्ग में उसका जन्म हुआ और उसकी युवावस्था फ्रांसीसी क्रान्ति के तुफानी दौरे से बीती हींगल ने विवेक और ज्ञान को बहुत महत्त्व प्रदान किया। उसके दर्शन का महत्त्व दो ही बातों पर निर्भर करता है- (क) द्वन्द्वात्मक पद्धति, (ख) राज्य का आदर्शीकरण। हीगल की रचनाएँ लीगल की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं 1. फिनोमिनोलॉजी ऑफ स्पिरिट (1807)  2. साइन्स ऑफ लॉजिक (1816) 3. फिलॉसफी ऑफ लॉ या फिलॉसफी ऑफ राइट (1821) 4. कॉन्सटीट्शन ऑफ जर्मनी  5. फिलॉसफी ऑफ हिस्ट्री (1886) मृत्यु के बाद प्रकाशित विश्वात्मा पर विचार  हीगल के अनुसार इतिहास विश्वात्मा की अभिव्यक्ति की कहानी है या इतिहास में घटित होने वाली सभी घटनाओं का सम्बन्ध विश्वात्मा के निरन्तर विकास के विभिन्न चरणों से है। विशुद्ध अद्वैतवादी विचारक हीगल सभी जड़ एवं चेतन वस्तुओं का उद्भव विश्वात्मा के रूप में देखता है वेदान्तियों के रूप में देखता है वेदान्तियों के 'तत्वमसि', 'अ

Popular posts from this blog

राजनीति विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर | Important Quetions and Answers of Political Science

  राजनीति विज्ञान के 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 1. दार्शनिक राजा का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था ? उत्तर. प्लेटो ने। 2. संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान महासचिव हैं ? उत्तर. एंटोनियो गुटेरेश है जो पुर्तगाल के हैं, जिन्होने 1 जनवरी 2017 को अपना कार्यकाल सँभाला 3. श्रेणी समाजवाद का संबंध निम्नलिखित में से किस देश से रहा है ? उत्तर. बिर्टेन से। 4. राज्य की उत्पत्ति का दैवीय सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था ? उत्तर. जेम्स प्रथम ने 5. मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है? उत्तर. राष्ट्रपति 6. संसद का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी की न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए? उत्तर. 25 वर्ष 7. भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा प्रस्तावना में दो शब्द ‘समाजवादी’ और धर्मनिरपेक्ष जोड़े गए थे? उत्तर. 42वें 8. भारतीय संविधान के कौनसे भाग में नीति निदेशक तत्वों का वर्णन है ? उत्तर. चतुर्थ। 9. जस्टिस शब्द जस से निकला है जस का संबंध किस भाषा से है ? उत्तर. लैटिन 10. पंचायत समिति का गठन होता है? उत्तर. प्रखंड स्तर पर 11. “मेरे पास खून, पसीना और आँसू के अतिरिक्त देने के लिए कुछ भी नहीं है ” यह किसने क

निति आयोग और वित्त आयोग |NITI Ayog and Finance Commission

  निति आयोग और वित्त आयोग यह एक गैर संवैधानिक निकाय है | National Institution for Transforming India( NITI Aayog )(राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) इसकी स्थापना 1 जनवरी 2015 को हुई | मुख्यालय – दिल्ली भारत सरकार का मुख्य थिंक-टैंक है| जिसे योजना आयोग के स्‍थान पर बनाया गया है इस आयोग का कार्य सामाजिक व आर्थिक मुद्दों पर सरकार को सलाह देने का है जिससे सरकार ऐसी योजना का निर्माण करे जो लोगों के हित में हो। निति आयोग को 2 Hubs में बाटा गया है 1) राज्यों और केंद्र के बीच में समन्वय स्थापित करना | 2) निति आयोग को बेहतर बनाने का काम | निति आयोग की संरचना : 1. भारत के प्रधानमंत्री- अध्यक्ष। 2. गवर्निंग काउंसिल में राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रशासित प्रदेशों(जिन केन्द्रशासित प्रदेशो में विधानसभा है वहां के मुख्यमंत्री ) के उपराज्यपाल शामिल होंगे। 3. विशिष्ट मुद्दों और ऐसे आकस्मिक मामले, जिनका संबंध एक से अधिक राज्य या क्षेत्र से हो, को देखने के लिए क्षेत्रीय परिषद गठित की जाएंगी। ये परिषदें विशिष्ट कार्यकाल के लिए बनाई जाएंगी। भारत के प्रधानमंत्री के निर्देश पर क्षेत्रीय परिषदों की बैठक हो

भारतीय संविधान के भाग |Part of Indian Constitution

  भाग 1  संघ और उसके क्षेत्र- अनुच्छेद 1-4 भाग 2  नागरिकता- अनुच्छेद 5-11 भाग 3  मूलभूत अधिकार- अनुच्छेद 12 - 35 भाग 4  राज्य के नीति निदेशक तत्व- अनुच्छेद 36 - 51 भाग 4 A  मूल कर्तव्य- अनुच्छेद 51A भाग 5  संघ- अनुच्छेद 52-151 भाग 6  राज्य- अनुच्छेद 152 -237 भाग 7  संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम,- 1956 द्वारा निरसित भाग 8  संघ राज्य क्षेत्र- अनुच्छेद 239-242 भाग 9  पंचायत - अनुच्छेद 243- 243O भाग 9A  नगर्पालिकाएं- अनुच्छेद 243P - 243ZG भाग 10  अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र- अनुच्छेद 244 - 244A भाग 11  संघ और राज्यों के बीच संबंध- अनुच्छेद 245 - 263 भाग 12  वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद -अनुच्छेद 264 -300A भाग 13  भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम- अनुच्छेद 301 - 307 भाग 14  संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं- अनुच्छेद 308 -323 भाग 14A  अधिकरण- अनुच्छेद 323A - 323B भाग 15 निर्वाचन- अनुच्छेद 324 -329A भाग 16  कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध संबंध- अनुच्छेद 330- 342 भाग 17  राजभाषा- अनुच्छेद 343- 351 भाग 18  आपात उपबंध अनुच्छेद- 352 - 360 भाग 19  प्रकीर्ण- अनुच्छेद 361 -367

भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण |Indian Constituent Assembly and Constitution making

  भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण |Indian Constituent Assembly and Constitution making संविधान निर्माण की सर्वप्रथम मांग बाल गंगाधर तिलक द्वारा 1895 में "स्वराज विधेयक" द्वारा की गई। 1916 में होमरूल लीग आन्दोलन चलाया गया।जिसमें घरेलू शासन सचांलन की मांग अग्रेजो से की गई। 1922 में गांधी जी ने संविधान सभा और संविधान निर्माण की मांग प्रबलतम तरीके से की और कहा- कि जब भी भारत को स्वाधीनता मिलेगी भारतीय संविधान का निर्माण -भारतीय लोगों की इच्छाओं के अनुकुल किया जाएगा। अगस्त 1928 में नेहरू रिपोर्ट बनाई गई। जिसकी अध्यक्षता पं. मोतीलाल नेहरू ने की। इसका निर्माण बम्बई में किया गया। इसके अन्तर्गत ब्रिटीश भारत का पहला लिखित संविधान बनाया गया। जिसमें मौलिक अधिकारों अल्पसंख्यकों के अधिकारों तथा अखिल भारतीय संघ एवम् डोमिनियम स्टेट के प्रावधान रखे गए। इसका सबसे प्रबलतम विरोध मुस्लिम लीग और रियासतों के राजाओं द्वारा किया गया। 1929 में जवाहर लाला नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर सम्मेलन हुआ। जिसमें पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई। 1936 में कांग्रेस का फैजलपुर सम्मेलन आयोजित किया गय

राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व |Directive Principles of State Policy

  36. परिभाषा- इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, 'राज्य' का वही अर्थ है जो भाग 3 में है। 37. इस भाग में अंतर्विष्ट तत्त्वों का लागू होना- इस भाग में अंतर्विष्ट उपबंध किसी न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे किंतु फिर भी इनमें अधिकथित तत्त्व देश के शासन में मूलभूत हैं और विधि बनाने में इन तत्त्वों को लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा। 38. राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा- राज्य ऐसी सामाजिक व्यवस्था की, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय राष्ट्रीय जीवन की सभी संस्थाओं को अनुप्राणित करे, भरसक प्रभावी रूंप में स्थापना और संरक्षण करके लोक कल्याण की अभिवृद्धि का प्रयास करेगा। राज्य, विशिष्टतया, आय की असमानताओं को कम करने का प्रयास करेगा और न केवल व्यष्टियों के बीच बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले और विभिन्न व्यवसायों में लगे हुए लोगों के समूहों के बीच भी प्रतिष्ठा, सुविधाओं और अवसरों की असमानता समाप्त करने का प्रयास करेगा। 39. राज्य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्त्व- राज्य अपनी नीति का, विशिष्टतया, इस प्रकार संचालन करेगा कि सुनि

राजव्यवस्था के अति महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर/very important question and answer of polity

 राजव्यवस्था के अति महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर प्रश्‍न – किस संविधान संशोधन अधिनियम ने राज्‍य के नीति निर्देशक तत्‍वों को मौलिक अधिकारों की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली बनाया?  उत्‍तर – 42वें संविधान संशोधन अधिनियम (1976) ने प्रश्‍न – भारत के कौन से राष्‍ट्रपति ‘द्वितीय पसंद'(Second Preference) के मतों की गणना के फलस्‍वरूप अपना निश्चित कोटा प्राप्‍त कर निर्वाचित हुए?  उत्‍तर – वी. वी. गिरि प्रश्‍न – संविधान के किस अनुच्‍छेद के अंतर्गत वित्‍तीय आपातकाल की व्‍यवस्‍था है?  उत्‍तर – अनुच्‍छेद 360 प्रश्‍न – भारतीय संविधान कौन सी नागरिकता प्रदान करता है?  उत्‍तर – एकल नागरिकता प्रश्‍न – प्रथम पंचायती राज व्‍यवस्‍था का उद्घाटन पं. जवाहरलाल नेहरू ने 2 अक्‍टूबर, 1959 को किस स्‍थान पर किया था ? उत्‍तर – नागौर (राजस्‍थान) प्रश्‍न – लोकसभा का कोरम कुल सदस्‍य संख्‍या का कितना होता है?  उत्‍तर – 1/10 प्रश्‍न – पंचवर्षीय योजना का अनुमोदन तथा पुनर्निरीक्षण किसके द्वारा किया जाताहै? उत्‍तर – राष्‍ट्रीय विकास परिषद प्रश्‍न – राज्‍य स्‍तर पर मंत्रियों की नियुक्ति कौन करता है?  उत्‍तर – राज्‍यपाल प्रश्‍न – नए

भारतीय राजव्यवस्था में वरीयता अनुक्रम/order of precedence in the Indian polity

  भारतीय राजव्यवस्था में वरीयता अनुक्रम भारतीय राजव्यवस्था में विभिन्न पदाधिकारियों का वरीयता अनुक्रम इस प्रकार है: (1)  राष्ट्रपति, (2)  उपराष्ट्रपति, (3)  प्रधानमंत्री (4)  राज्यों के राजपाल, अपने राज्यों में (5)  भूतपूर्व राष्ट्रपति (5 क)  उप प्रधानमंत्री (6)  भारत का मुख्य न्यायधीश तथा लोक सभाध्यक्ष (7)  केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों में, योजना आयोग का उपाध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री तथा संसद के विपक्ष का नेता (7 क)  भारत रत्न सम्मान के धारक (8)  राजदूत (9)  उच्चतम न्यायलय के न्यायाधीश (9 क)  मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा भारत का नियंत्रक महालेखा परीक्षक (10)  राज्य सभा का उपसभापति लोक सभा का उपाध्यक्ष, योजना आयोग के सदस्य तथा केंद्र में राज्यमंत्री भारत रत्न एकमात्र ऐसा पुरस्कार है जिसे वरीयता अनुक्रम में स्थान दिया गया है. नोट:  मुख्य चुनाव आयुक्त शेषन के आग्रह पर सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त को (9)क की स्थिति प्रदान की है, यानी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समकक्ष दर्जा (यह संशोधन अगस्त में किया गया).

महत्वपूर्ण संवैधानिक शब्दावली/important constitutional terminology

  महत्वपूर्ण संवैधानिक शब्दावली ध्यानाकर्षण :  राज्यसभा में ध्यानाकर्षण प्रक्रिया का अस्तित्व नहीं रहता है। इसके स्थान पर प्रस्ताव पत्र का प्रयोग किया जाता है। फ्लोर क्रोसिंग :  फ्लोर क्रोसिंग से आशय किसी संसद सदस्य के जिस पार्टी से वह चुना गया है, से दूसरी पार्टी में दल बदल करने से है। दल बदल की प्रवृत्ति का आशय पार्टी का अपने सदस्यों पर कम होते प्रभाव से है। इस प्रक्रिया से सरकार में अस्थिरता पैदा होती है तथा जनादेश का अपमान होता है। निलंबित संसद :  जब एक आम चुनाव में कोई राजनीतिक दल या राजनीतिक दलों का गठबधन सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होता है। तब इस प्रकार की संसद निलबित संसद कहलाती है। अंतरिम सरकार :  यह सरकार देश के इतिहास के संक्रमणकालीन दौर में निर्मित होती है। यह एक पूर्ण सरकार होती है एवं यह नीति के संदर्भ में कोई भी निर्णय ले सकती है। भारत में 15 अगस्त को इन्डिपेन्डैन्स ऑफ इंडिया एक्ट के द्वारा अंतरिम सरकार सत्ता में आई थी एवं इसका अंत मार्च, 1952 में हुआ था। अल्पसंख्यक सरकार :  यह सरकार का एक ऐसा रूप है जो लोकसभा में खुद पर विश्वास साबित नहीं कर पाती है। यह सरकार के बाहर

भारतीय निर्वाचन आयोग और परिसीमन आयोग |Election Commission of India and Delimitation Commission

  भारतीय निर्वाचन आयोग और परिसीमन आयोग परिसीमन आयोग भारत के उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में 12 जुलाई 2002 को परिसीमन आयोग का गठन किया गया। यह आयोग वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करेगा। दिसंबर 2007 में इस आयोग ने नये परिसीमन की संसुतिति भारत सरकार को सौंप दी। लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इस पर उच्चतम न्यायलय ने, एक दाखिल की गई रिट याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी की। फलस्वरूप कैविनेट की राजनीतिक समिति ने 4 जनवरी 2008 को इस आयोग की संस्तुतियों को लागु करने का निश्चय किया। 19 फरवरी 2008 को राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने इस परिसीमन आयोग को लागू करने की स्वीकृति प्रदान की। परिसीमन •    संविधान के अनुच्छेद 82 के अधीन, प्रत्येक जनगणना के पश्चात् कानून द्वारा संसद एक परिसीमन अधिनियम को अधिनियमित करती है. •    परिसीमन आयोग परिसीमन अधिनियम के उपबंधों के अनुसार संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के सीमाओं को सीमांकित करता है. •    निर्वाचन क्षेत्रों का वर्तमान परिसीमन 1971 के जनगणना आँकड़ों पर आधारित

संघीय कार्यपालिका एवं भारत का राष्ट्रपति | Federal Executive and President of India

  भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है. 1.  भारत में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है. इसलिए राष्ट्रपति नामपत्र की कार्यपालिका है तथा प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका है. राष्ट्रपति a.  राष्ट्रपति भारत का संवैधानिक प्रधान होता है. b.  भारत का राष्ट्रपति भारत का प्रथम व्यक्ति कहलाता है. 2.   राष्ट्रपति पद की योग्यता:  संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार कोई व्यक्ति राष्‍ट्रपति होने योग्य तब होगा, जब वह: (a)  भारत का नागरिक हो. (b)  35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो. (c)  लोकसभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने योग्य हो. (d)  चुनाव के समय लाभ का पद धारण नहीं करता हो. नोट:  यदि व्यक्ति राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद पर हो या संघ अथवा किसी राज्य की मंत्रिपरिषद का सदस्य हो, तो वह लाभ का पद नहीं माना जाएगा. 3.   राष्‍ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचक मंडल:  इसमें राज्य सभा, लोकसभा और राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य रहते हैं. नवीनतम व्यवस्था के अनुसार पांडिचेरी विधानसभा तथा दिल्ली की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य को भी सम्मिलित किया गया है. 4.  राष्ट्रप