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जानें भारत के प्रमुख राष्ट्रीय चिन्ह व प्रतीकों की सूची | Know the list of major national symbols and symbols of India

 

भारत के प्रमुख राष्ट्रीय चिन्ह व प्रतीकों की सूची

राष्‍ट्रीय पहचान के प्रतीक प्रतीक व चिन्ह का नाम

  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज :- तिरंगा
  • भारत का राष्ट्रीय गान :- जन-गन-मन
  • भारत का राष्ट्रीय गीत :- वन्दे मातरम्
  • भारत का राष्ट्रीय चिन्ह :- अशोक स्तम्भ
  • भारत का राष्ट्रीय पंचांग :- शक संवत
  • भारत का राष्ट्रीय वाक्य :- सत्यमेव जयते
  • भारत की राष्ट्रीयता :- भारतीयता
  • भारत की राष्ट्र भाषा :- हिंदी
  • भारत की राष्ट्रीय लिपि :- देव नागरी
  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज गीत :- हिंद देश का प्यारा झंडा
  • भारत का राष्ट्रीय नारा :- श्रमेव जयते
  • भारत के राष्ट्र पिता :- महात्मा गाँधी
  • भारत की राष्ट्रीय विदेश नीति :- गुट निरपेक्ष
  • भारत का राष्ट्रीय पुरस्कार :- भारत रत्न
  • भारत का राष्ट्रीय सूचना पत्र :- श्वेत पत्र
  • भारत का राष्ट्रीय वृक्ष :- बरगद
  • भारत की राष्ट्रीय मुद्रा :- रूपया
  • भारत की राष्ट्रीय नदी :- गंगा
  • भारत का राष्ट्रीय पक्षी :- मोर
  • भारत का राष्ट्रीय पशु :- बाघ
  • भारत का राष्ट्रीय फूल :- कमल
  • भारत का राष्ट्रीय फल :- आम
  • भारत की राष्ट्रीय योजना :- पञ्च वर्षीय योजना
  • भारत का राष्ट्रीय खेल :- हॉकी
  • भारत की राष्ट्रीय मिठाई :- जलेबी
  • भारत के राष्ट्रीय पर्व :- 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस), 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस), 2 अक्तूबर (गाँधी जयंती)
  • भारत का राष्ट्रीय पकवान :- खिचड़ी
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     गांधीवाद (Gandhism)/ आधुनिक भारतीय विचारक /Deep study on Mahatama Gandhi गांधीवाद (Gandhism) बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में भारतीय राजनीतिक आन्दोलन में एक ऐसे व्यक्ति का प्रवेश हुआ जिसने पूरी भारतीय राजनीति को अपनी छवि से ढक लिया। यदि कहा जाए कि सम्पूर्ण भारतीय जनता को एक सूत्र में बाँधने का श्रेय गांधी जी को जाता है तो यह अतिश्योक्ति न होगी। गांधी एक ऐसे विचारक हैं जिन्होंने स्वयं अपने दर्शन का निर्माण नहीं किया, बल्कि पूर्व के दार्शनिक विचारों को अपने जीवन के व्यवहार में लाने का प्रयत्न किया। वह स्वयं कहा करते थे कि मैं किसी नवीन विचारधारा का प्रतिपादन नहीं कर रहा हूँ अपितु जो कुछ अच्छा है उसे में भारत की परिस्थिति के अनुसार व्यवहार में लाना चाहता हूँ सत्य और अहिंसा के विचार उतने ही पुराने हैं जितनी पुरानी पहाड़ियाँ हैं। श्री पटाभिसीता रमेया ने लिखा है कि "सिद्धान्तों का, मतों का, नियमों का, विनियमों का और प्रदेशों का समूह नहीं है प्रत्युत वह एक जीवन शैली या जीवन दर्शन है। यह शैली एक नई दिशा की ओर संकेत रकती है अथवा मनुष्य जीवन की समस्याओं के विषय में पुरानी दशा की पुनः स्था

    भारतीय संविधान के विकास का इतिहास | History of development of Indian constitution

      1757 ई. की प्लासी की लड़ाई और 1764 ई. बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन का शिकंजा कसा. इसी शासन को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए अंग्रेजों ने समय-समय पर कई एक्ट पारित किए, जो भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियां बनीं. वे निम्न हैं: 1. 1773 ई. का रेग्‍यूलेटिंग एक्ट:  इस एक्ट के अंतर्गत कलकत्ता प्रेसिडेंसी में एक ऐसी सरकार स्थापित की गई, जिसमें गवर्नर जनरल और उसकी परिषद के चार सदस्य थे, जो अपनी सत्ता का उपयोग संयुक्त रूप से करते थे. इसकी मुख्य बातें इस प्रकार हैं - (i)  कंपनी के शासन पर संसदीय नियंत्रण स्थापित किया गया. (ii)  बंगाल के गवर्नर को तीनों प्रेसिडेंसियों का जनरल नियुक्त किया गया. (iii)  कलकत्ता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई. 2. 1784 ई. का पिट्स इंडिया एक्ट:  इस एक्ट के द्वारा दोहरे प्रशासन का प्रारंभ हुआ- (i) कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स - व्यापारिक मामलों के लिए (ii) बोर्ड ऑफ़ कंट्रोलर- राजनीतिक मामलों के लिए. 3. 1793 ई. का चार्टर अधिनियम:  इसके द्वारा नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों तथा कर्मचारियों के वेतन आदि को भारतीय

    निति आयोग और वित्त आयोग |NITI Ayog and Finance Commission

      निति आयोग और वित्त आयोग यह एक गैर संवैधानिक निकाय है | National Institution for Transforming India( NITI Aayog )(राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) इसकी स्थापना 1 जनवरी 2015 को हुई | मुख्यालय – दिल्ली भारत सरकार का मुख्य थिंक-टैंक है| जिसे योजना आयोग के स्‍थान पर बनाया गया है इस आयोग का कार्य सामाजिक व आर्थिक मुद्दों पर सरकार को सलाह देने का है जिससे सरकार ऐसी योजना का निर्माण करे जो लोगों के हित में हो। निति आयोग को 2 Hubs में बाटा गया है 1) राज्यों और केंद्र के बीच में समन्वय स्थापित करना | 2) निति आयोग को बेहतर बनाने का काम | निति आयोग की संरचना : 1. भारत के प्रधानमंत्री- अध्यक्ष। 2. गवर्निंग काउंसिल में राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रशासित प्रदेशों(जिन केन्द्रशासित प्रदेशो में विधानसभा है वहां के मुख्यमंत्री ) के उपराज्यपाल शामिल होंगे। 3. विशिष्ट मुद्दों और ऐसे आकस्मिक मामले, जिनका संबंध एक से अधिक राज्य या क्षेत्र से हो, को देखने के लिए क्षेत्रीय परिषद गठित की जाएंगी। ये परिषदें विशिष्ट कार्यकाल के लिए बनाई जाएंगी। भारत के प्रधानमंत्री के निर्देश पर क्षेत्रीय परिषदों की बैठक हो