राजभाषा
संविधान के भाग 5 एवं 6 के क्रमश: अनुच्छेद 120 तथा 210 में तथा भाग 17 के अनुचछेद 343, 344, 345, 346, 347, 348, 349, 350 तथा 351 में राजभाषा हिंदी के संबंध में निम्न प्रावधान किये गए हैं। इन प्रावधानों के साथ ही संप्रति भारत की 22 भाषाओं को संविधान की अनुसूची-8 में मान्यता दी गई है। ये भाषाएँ इस प्रकार हैं-
हिंदी, पंजाबी, उर्दू, कश्मीरी, संस्कृत, असमिया, ओड़िया, बांगला, गुजराती, मराठी, सिंधी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, मणिपुरी, कोंकणी, नेपाली, संथाली, मैथिली, बोड़ो ता डोगरी।
सन 1967 में 21वें संविधान संशोधन द्वारा सिंधी भाषा 8वीं अनुसूची में जोड़ी गई थी। सन 1992 में 71वें संविधान संशोधन द्वारा कोंकणी, नेपाली तथा मणिपुरी भाषाएँ 8वीं अनुसूची में जोड़ी गई थीं। सन 2003 में 92वें संविधान संशोधन द्वारा संथाली, मैथिली, बोडो तथा डोगरी भाषाएँ 8वीं अनुसूची में जोड़ी गई थीं।
अनुच्छेद 343. संघ की राजभाषा--उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों आदि की भाषा
इस प्रकार अनुच्छेद 348 के अनुसार उच्चतम न्यायालय तथा प्रत्येक उच्च न्यायालय की सारी कार्यवाही अंग्रेजी भाषा में होगी तथा संसद के किसी भी सदन या राज्य के विधान-मंडल के प्रत्येक सदन में प्रस्तुत विधेयकों या उनके प्रस्तावित संशोधनों की भाषा अंग्रेजी होगी। साथ ही संसद या राज्य विधान- मंडल द्वारा पारित सभी कानूनों और राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा जारी किए गए सभी अध्यादेशों और सभी आधिकारिक आदेशों, नियमों, विनियमों और उपविधियों के प्राधिकृत पाठ अंग्रेजी में होंगे। किन्तु यह व्यवस्था स्थायी न होकर संक्रमणशील व्यवस्था है, क्योंकि यह तब तक लागू रहेगी जब तक संसद कानून बना कर अन्य कोर्इ व्यवस्था न करे। राष्ट्रपति की सहमति से राज्यपाल हिन्दी या राज्य की राज्यपाल का इस्तेमाल उच्च न्यायालय की कार्यवाहियों के लिए प्राधिकृत कर सकते हैं किन्तु उच्च न्यायालय के निर्णय, डिक्री या आदेश अंग्रेजी में ही होंगे।
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