भारतीय निर्वाचन आयोग और परिसीमन आयोग
परिसीमन आयोग
भारत के उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में 12 जुलाई 2002 को परिसीमन आयोग का गठन किया गया। यह आयोग वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करेगा। दिसंबर 2007 में इस आयोग ने नये परिसीमन की संसुतिति भारत सरकार को सौंप दी। लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इस पर उच्चतम न्यायलय ने, एक दाखिल की गई रिट याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी की। फलस्वरूप कैविनेट की राजनीतिक समिति ने 4 जनवरी 2008 को इस आयोग की संस्तुतियों को लागु करने का निश्चय किया। 19 फरवरी 2008 को राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने इस परिसीमन आयोग को लागू करने की स्वीकृति प्रदान की।
परिसीमन
• संविधान के अनुच्छेद 82 के अधीन, प्रत्येक जनगणना के पश्चात् कानून द्वारा संसद एक परिसीमन अधिनियम को अधिनियमित करती है.
• परिसीमन आयोग परिसीमन अधिनियम के उपबंधों के अनुसार संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के सीमाओं को सीमांकित करता है.
• निर्वाचन क्षेत्रों का वर्तमान परिसीमन 1971 के जनगणना आँकड़ों पर आधारित है.
• भारत में 4 बार, 1952, 1963, 1973 एवं 2002 परिसीमन आयोग का गठन किया गया.
निर्वाचन आयोग
भारतीय निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है जिसका गठन भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से विभिन्न से भारत के प्रतिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए गया था. भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गई थी. भारत के निर्वाचन अायोग से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं:
संविधान के भाग-15 के अनुच्छेद-324 से 329 में निर्वाचन से संबंधित उपबंध दिया गया है.
निर्वाचन आयोग के मुख्य कार्य:
(i) चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन,
(ii) मतदाता सूचियों को तैयार करवाना,
(iii) विभिन्न राजनितिक दलों को मान्यता प्रदान करना,
(iv) राजनितिक दलों को आरक्षित चुनाव चिन्ह प्रदान करना,
(v) चुनाव करवाना,
(vi) राजनितिक दलों के लिए आचार संहिता तैयार करवाना.
निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक प्रावधान
(i) निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है अर्थात इसका निर्माण संविधान ने किया है.
(ii) मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं.
(iii) मुख्य चुनाव आयुक्त महाभियोग जैसी प्रक्रिया से ही हटाया जा सकता है.
(iv) मुख्य चुनाव आयुक्त का दर्जा सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के समान ही है.
(v) नियुक्ति के पश्चात मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों की सेवा शशर्तों में कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है.
(vi) मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों का वेतन भरता की संचित निधि में से दिया जाता है.
भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त
नाम | कार्यकाल |
---|---|
सुकुमार सेन | 21 मार्च 1950 - 19 दिसंबर 1958 |
के. वी. के. सुंदरम | 20 दिसंबर 1958 - 30 सितंबर 1967 |
एस. पी. सेन वर्मा | 01 अक्टूबर 1967 - 30 सितंबर 1972 |
डॉ. नागेंद्र सिंह | 01 अक्टूबर 1972 - 6 फरवरी 1973 |
टी. स्वामीनाथन | 07 फरवरी 1973 - 17 जून 1977 |
एस.एल. शकधर | 18 जून 1977 - 17 जून 1982 |
आर. के. त्रिवेदी | 18 जून 1982 - 31 दिसंबर 1985 |
आर. वी. एस. पेरिशास्त्री | 01 जनवरी 1986 - 25 नवंबर 1990 |
श्रीमती वी. एस. रमा देवी | 26 नवंबर 1990 - 11 दिसंबर 1990 |
टी. एन. शेषन | 12 दिसंबर 1990 - 11 दिसंबर 1996 |
एम. एस. गिल | 12 दिसंबर 1996 - 13 जून 2001 |
जे. एम. लिंगदोह | 14 जून 2001 - 7 फरवरी 2004 |
टी. एस. कृष्णमूर्ति | 08 फरवरी 2004 - 15 मई 2005 |
बी. बी. टंडन | 16 मई 2005 - 29 जून 2006 |
एन. गोपालस्वामी | 30 जून 2006 - 20 अप्रैल 2009 |
नवीन चावला | 21 अप्रैल 2009 से 29 जुलाई 2010 |
एस. वाई. कुरैशी | 30 जुलाई 2010 - 10 जून 2012 |
वी. एस संपत | 11 जून 2012 - 15 जनवरी 2015 |
एच. एस. ब्राह्मा | 16 जनवरी 2015 - 18 अप्रैल 2015 |
डॉ. नसीम जैदी | 19 अप्रैल 2015 - 05 जुलाई, 2017 |
श्री ए.के. जोति | 06 जुलाई, 2017 - 22 जनवरी 2018 |
श्री ओम प्रकाश रावत | 23 जनवरी 2018 - अब तक |
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