द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ होने के पश्चात भारत में तीव्र राजनैतिक गतिविधियां प्रारंभ होने तथा कांग्रेस द्वारा असहयोग की नीति अपनाये जाने के कारण ब्रिटिश सरकार ने क्रिप्स मिशन (1942), वैवेल योजना (1945), कैबिनेट मिशन (1946) तदुपरांत एटली की घोषणा (1947) द्वारा गतिरोध को हल करने का प्रयत्न किया।
राष्ट्रीय अस्थायी सरकार में रियासत विभाग के मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल, जिन्हें मंत्रालय के सचिव के रूप में वी.पी. मेनन की सेवायें प्राप्त थीं, भारतीय रियासतों से देशभक्तिपूर्ण अपील की कि वे अपनी रक्षा, विदेशी मामले तथा संचार अवस्था को भारत के अधीनस्थ बना कर भारत में सम्मिलित हो जायें।
15 अगस्त 1947 के अंत तक 136 क्षेत्राधिकार रियासतें भारत में सम्मिलित हो चुकी थीं। किंतु कुछ अन्य ने स्वयं को इस व्यवस्था से अलग रखा
जूनागढ़यहां का मुस्लिम नवाब रियासत को पाकिस्तान में सम्मिलित करना चाहता था किंतु हिंदू जनसंख्या भारत में सम्मिलित होने के पक्ष में थी। जनता ने भारी बहुमत से भारत में सम्मिलित होने के पक्ष में निर्णय दिया।
हैदराबादहैदराबाद का निजाम अपनी संप्रभुता को बनाये रखने के पक्ष में था। यद्यपि यहां की बहुसंख्या जनता भारत में विलय के पक्ष में थी। उसने हैदराबाद को भारत में सम्मिलित करने के पक्ष में तीव्र आदोलन प्रारंभ कर दिया। निजाम आंदोलनकारियों के प्रति दमन की नीति पर उतर आया। 29 नवंबर 1947 को निजाम ने भारत सरकार के साथ एक समझौते पर दस्तखत तो कर दिये किंतु इसके बावजूद उसकी दमनकारी नीतियां और तेज हो गयीं। सितंबर 1948 तक यह स्पष्ट हो गया कि निजाम को समझा-बुझा कर राजी नहीं किया जा सकता।। 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेनाएं हैदराबाद में प्रवेश कर गयीं और 18 सितम्बर 1948 को निजाम ने आत्मसमर्पण कर दिया। अंततः नवंबर 1949 में हैदराबाद को भारत में सम्मिलित कर लिया गया।
कश्मीरजम्मू एवं कश्मीर राज्य का शासक हिन्दू एवं जनसंख्या मुस्लिम बहुसंख्यक थी। यहां का शासक भी कश्मीर की संप्रभुता को बनाये रखने के पक्ष में था तथा भारत या पाकिस्तान किसी भी डोमिनियन में नहीं सम्मिलित होना चाहता था। किंतु कुछ समय पश्चात ही नवस्थापित पाकिस्तान ने कबाइलियों को भेजकर कश्मीर पर आक्रमण कर दिया । अंत में विवश होकर कश्मीर के शासक ने 26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ विलय-पत्र (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर कर दिये। तत्पश्चात कबाइलियों को खदेड़ने के लिये भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर भेजी गयी।
भारत ने पाकिस्तान समर्थित आक्रमण की शिकायत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दर्ज करायी तथा उसने जनमत संग्रह द्वारा समस्या के समाधान की सिफारिश की। इसके साथ ही भारत ने 84 हजार वर्ग किलोमीटर का भू-क्षेत्र पाकिस्तान के अधिकार में ही छोड़ दिया। भारतीय संविधान के निर्माण के पश्चात जम्मू एवं कश्मीर राज्य को अनुच्छेद 370 के द्वारा विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया गया।
जानकारी अच्छी लगी तो किर्पया शेयर जरूर करें
Follow Us