रॉबर्ट नॉजिक (Robert Nozick)
रॉबर्ट नॉजिक का जन्म अमेरिका के शहर ब्रुकलिन में 16 नवम्बर, 1938 को हुआ था। नॉजिक का समय 1970 और 1980 का दशक माना जा सकता है इसी समय में उन्हें अमेरिका में प्रतिष्ठित दार्शनिक सम्मान प्राप्त हुआ। रॉबर्ट नॉजिक की शिक्षा हॉवर्ड विश्वविद्यालय में हुई, अध्ययन कार्य किया। इन्होंने अपनी पुस्तक में दासता को भी उचित बताया था यदि कोई स्वेच्छा से स्वयं को बेचता है।
रॉबर्ट नॉजिक की प्रमुख रचनाएँ
रॉबर्ट नॉजिक की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं
(i) एनाकी स्टेट एण्ड यूटोपिया (1974)
(ii) द एक्जामिण्ड लाइफ (1989)
(iii) सोक्रेटिक पजल्स (1997)
(iv) फिलॉसोफिकल एक्सप्लानेशन (1981)
(v) द नेचर ऑफ रेशनेलिटी (1995)
न्याय सिद्धान्त
रॉबर्ट नॉजिक ने चर्चित कृति एनार्की स्टेट एण्ड यूटोपिया (अराजकता, राज्य और कल्पना लोक-1974) के अंतर्गत न्याय के दो तरह के सिद्धान्तों में अन्तर किया है। एक ओर न्याय के ऐतिहासिक सिद्धान्त हैं तो दूसरी ओर साध्यमूलक सिद्धान्त हैं। ऐतिहासिक सिद्धान्तों के अनुसार लोगों की अतीत परिस्थितियों और अतीत कार्यों के आधार पर उनके वर्तमान अधिकार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। उदाहरण के लिए उपयोगिताबाद एक साध्यमूलक सिद्धान्त है, जो अधिकतम लोगों के अधिकतम सुख के लक्ष्य को अधिकारों का उपयुक्त आधार मानता है। नॉजिक ने इस सिद्धान्त को तीव्र आलोचना की है।
स्वयं नॉजिक ने न्याय के ऐतिहासिक सिद्धान्तों को अपने तर्क का आरम्भिक बिन्दु स्वीकार किया है। इसके अनुसार यदि वैयक्तिक सम्पत्ति की वर्तमान व्यवस्था अतीत के उचित अभिग्रहण या हस्तान्तरण का परिणाम है। परन्तु यदि अतीत में सम्पत्ति के अनुरूप अभिग्रहण के कारण कोई अन्याय हुआ है तो उसका परिष्कार उचित होगा। इस प्रक्रिया को नॉजिक ने परिष्कार का सिद्धान्त कहा है। नॉजिक के अपने सिद्धान्त को न्याय का अधिकारिता सिद्धान्त कहा जाता है। फिर विभिन्न मनुष्य अपनी-अपनी प्रतिभा और प्रयास से सामाजिक उत्पादन में भिनन योगदान करते हैं इसलिए उन्हें भिन्न-भिन्न पुरस्कार प्राप्त होना स्वाभाविक है।
नॉजिक ने तर्क दिया है कि समाज में उत्पादन के स्तर पर जो असमानताएं पाई जाती हैं उन्हें वितरण के स्तर पर बदलने का प्रयत्न विनाशकारी होगा। संसार में कोई वस्तु शून्य से पैदा नहीं होती, बल्कि समाज की सम्पदा भिन्न व्यक्तियों के परिश्रम का परिणाम है। लोग व्यापार के द्वारा अपनी सम्पत्ति बढ़ाते हैं या खो देते हैं। सम्पत्ति का वर्तमान वितरण उसके स्वैच्छिक विनियम का परिणाम है। अतः राज्य के समस्त कल्याणकारी कार्यक्रम सर्वथा अवैध हैं। संक्षेप में नॉजिक का अधिकारिता सिद्धान्त मोटे तौर पर तीन प्रकार के सिद्धान्त तत्त्वों की मान्यता देता है।
नॉजिक का अधिकारिता सिद्धान्त
न्यायपूर्ण हस्तान्तरण का सिद्धान्त- इसका अर्थ यह है कि न्यायपूर्ण तरीके से जिस वस्तु का अभिग्रहण किया गया हो उसे स्वतंत्रतापूर्वक हस्तान्तरित किया जा सकता है।
मूलतः न्यायपूर्ण अभिग्रहण का सिद्धान्त इसका अर्थ है कि कोई व्यक्ति जिस वस्तु का स्वामी है उसे यदि उसने न्यायपूर्ण तरीके से प्राप्त किया हो तभी उसे वह स्वेच्छापूर्णक हस्तान्तरित करने का अधिकारी माना जाएगा। अन्याय के परिष्कार का सिद्धान्त इसका अर्थ है कि यदि कहीं अन्यायपूर्ण तरीके से किसी वस्तु का अभिग्रहण या हस्तान्तरण किया गया हो तो ऐसी स्थिति का उचत प्रतिकार करना चाहिए।
इस सारी तर्क श्रृंखला से यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि लोगों की वर्तमान सम्पत्ति न्यायपूर्ण वितरण के लिए यह सूत्र अपनाना चाहिए। हरेक से उतना जितना वह देना चाहे, हरेक का उतना जितना कोई देना चाहे, जिसमें विवश और बंचित वर्गों को कोई सहायता प्राप्त होने की गुंजाइश नहीं है। यह बात ध्यान देने की है कि जहाँ रॉल्स का न्याय सिद्धान्त सबसे निर्धन और सबसे जरूरतमन्द व्यक्ति को सबसे पहले सहायता पहुँचाने की माँग करता है।
सामुदायिकवादी
समुदायवादी विचारों के अंतर्गत मनुष्य के आण्विक स्वरूप की निन्दा की गई है। समुदायवादियों के अनुसार मनुष्य को उसकी परम्पराओं व सामाजिक मूल्यों से पृथक् नहीं किया जा सकता है। समुदायवाद नागरिक व नैतिक पुनरुत्थान पर विशेष बल देता है। इस प्रकार के विचारों को बिल क्लिन्टन के कार्यकाल में अमेरिकी संदर्भोंों में प्राथमिकता मिली।
लोकतान्त्रिक सिद्धान्त
समुदायवादी लोकतान्त्रिक सिद्धान्त की मान्यता है कि एक अच्छे जीवन की परिकल्पना सामुदायिक जीवन में ही की जा सकती है तथा न्यायपूर्ण समाज की स्थापना सामुदायिक गतिविधियों की सहज भागीदारी से ही संभव है। मनुष्य की सामाजिकता के सिद्धान्त का केन्द्र बिन्दु है। सामुदायिक लोकतान्त्रिक विचारों के सामान्य नैतिक मूल्यों को प्रधानता दी गई है। स्पष्टतः इन विचारों के अंतर्गत एक स्वस्थ स्वायत्त नागरिक समाज की आवश्यकता पर बल दिया गया है। सामुदायिक लोकतंत्र के अनुसार शिक्षा नैतिकता, विश्वास व नेतृत्व वे साधन हैं जिनसे नागरिक समाज उत्कृष्ट होता है तथा उत्कृष्ट नागरिक समाज ही प्रतिनिधि के उत्तरदायित्व का कुशल स्थापन कर सकता है।
समुदाय
● 20वीं सदी के अंतिम दशकों में लोकतंत्र के सामुदायिक सिद्धान्त की स्थापना हुई है। समुदायवाद एक विचार के रूप में विभिन्न मूल्यों व पहचानों का समर्थन करता है तथा बेन्जामिन वाल्जर, एमीरा एटी जीनाई, चार्ल्स टेलर, सेंडेल इत्यादि के विचारों से यह सम्बन्धित है। समुदाय पर अत्यधिक जोर देने के कारण इन्हें 'नव-अरस्तुवादी' भी कहते हैं।
इससे जहाँ एक ओर व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विकास होता है वहीं इससे सामाजिक बन्धुत्व के लक्ष्य की प्राप्ति भी। होती है। समुदायवादी प्राप्ति विद्यात्मक उत्तरदायित्व व लोक भागीदारी के लिए उदारवादी लोकतंत्र की प्रक्रियात्मकता का समर्थन तो करते हैं परन्तु इनके अनुसार बेहतर नागरिक की स्थापना से तात्विकता की प्राप्ति संभव है। सामुदायिक लोकतंत्र अतिमूलक व्यवस्था का समर्थन करता है जिससे कुशल प्रशासन के लिए विकेन्द्रीकृत व्यवस्था का समर्थन करता है जिससे कुशल प्रशासन के लिए विकेन्द्रीकृत व्यवस्था की स्थापना की गई हो। वह सक्रिय नागरिकता तथा सीमित संवैधानिक व्यवस्था को सामान्य अच्छाई का साधन मानता है। लोक कल्याणकारी राज्य से मिल समुदायवादी लोकतंत्र स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से सामाजिक विकास की प्राप्ति का समर्थक है।
समुदायवाद व्यक्तिगत चयन के अधिकार की अपेक्षा सामाजिक चयन व सामाजिक व्यवहार का पक्षधर है इसलिए वैश्विकता की अपेक्षा स्थानीयता का इसके अन्तर्गत समर्थन किया गया है। समुदायवाद सामाजिक असन्तुलन को दूर करने के लिए कर्तव्य व नैतिक उत्तरदायित्व पर बल देता है।
समुदायवाद के चार आधार
समुदायवाद के चार आधार निम्नलिखित हैं-
(1) परम्पराओं की अपेक्षा नहीं की जा सकती।
(II) अधिकारों के साथ-साथ न्याय की स्थापना के लिए नागरिक कर्तव्यों की भी आवश्यकता होती है।
(III) मनुष्य की सामाजिक प्रतिक्रियाएँ होती है।
(iv) सामाजिक भावनाओं में कमी आने से सामाजिक स्थिति बिगड़ती है।
समुदायवादी विचारों के अंतर्गत किसी समुदाय के हित को उसकी परम्पराओं, प्रथाओं व मान्यताओं के संदर्भ में ही समझा जा सकता है। माइकल वाल्जर ने अपनी कृति एपेयर ऑफ जीन्टस में रॉल्स के वितरणात्मक न्याय की आलोचना की है।
बाल्जर के अनुसार समाज में सरल व विषम दो प्रकार की समानताएँ होती हैं। सरल समानता का अर्थ है वस्तुओं का समान वितरण जबकि विषम समानता इस मान्यता पर आधारित है विभिन्न विभिन्न सामाजिक वस्तुएँ भिन्न आधारों पर ही तथा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में वितरण के लिए बनाई गई हैं।
वाल्जर ने समकालिक समाजों में विषम समानता की ही न्यायपूर्ण माना है। बाल्जर के अनुसार नौकरशाही के द्वारा पारदर्शिता की स्थापना व्यक्तियों के द्वारा सामूहिक परिश्रम, सामाजिक-धार्मिक जीवन में राज्य का अहस्तक्षेप, सामाजिक आन्दोलनों, सभाओं इत्यादि के द्वारा सार्वजनिक मुद्दों पर वाद-विवाद ही न्यायपूर्ण दशा है। समुदायवादी विचारों के अंतर्गत मैकिन टायर मारकल तथा सैडल के विचार भी महत्त्वपूर्ण हैं। मेकिन टायर के अनुसार उदारवादी विचारें में नैतिकता का न्यूनीकरण होता है। रॉल्स ने अपनी कृति पॉलिटिकल लिबरेलिज्म में इन आलोचनाओं का उत्तर देने की कोशिश है परन्तु यह सच है कि रॉल्स की कृति ने राजनीतिक सिद्धान्त को शुष्कता को दूर किया तथा उदारवादी मान्यताओं के अंतर्गत समुदायवादी विचारों की प्रबलता को पुष्ट किया।
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