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मौलिक अधिकार | Fundamental Rights

भाग -3 मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 तक) (अमेरिका से लिये) मौलिक अधिकारों से तात्पर्य वे अधिकार जो व्यक्तियों के सर्वागिण विकास के लिए आवश्यक होते है इन्हें राज्य या समाज द्वारा प्रदान किया जाता है।तथा इनके संरक्षण कि व्यवस्था की जाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसम्बर 1948 को वैश्विक मानवाधिकारो की घोषणा की गई इसलिए प्रत्येक 10 दिसम्बर को विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। भारतीय संविधान में 7 मौलिक अधिकारों का वर्णन दिया गया था। समानता का अधिकारा - अनुच्छेद 14 से 18 तक स्वतंन्त्रता का अधिकार - अनुच्छेद 19 से 22 तक शोषण के विरूद्ध अधिकार - अनुच्छेद 23 व 24 धार्मिक स्वतंन्त्रता का अधिकार - अनुच्छेद 25 से 28 तक शिक्षा एवम् संस्कृति का अधिकार - अनुच्छेद 29 और 30 सम्पति का अधिकार - अनुच्छेद 31 सवैधानिक उपचारो का अधिकार - अनुच्छेद 32 अनुच्छेद - 12 राज्य की परिभाषा अनुच्छेद - 13 राज्य मौलिक अधिकारों का न्युन(अतिक्रमण) करने विधियों को नहीं बनाऐंगा। 44 वें संविधान संशोधन 1978 द्वारा "सम्पति के मौलिक अधिकार" को इस श्रेणी से हटाकर "सामान्य विधिक अधिकार" ब

भारतीय संविधान के विकास का इतिहास | History of development of Indian constitution

  1757 ई. की प्लासी की लड़ाई और 1764 ई. बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन का शिकंजा कसा. इसी शासन को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए अंग्रेजों ने समय-समय पर कई एक्ट पारित किए, जो भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियां बनीं. वे निम्न हैं: 1. 1773 ई. का रेग्‍यूलेटिंग एक्ट:  इस एक्ट के अंतर्गत कलकत्ता प्रेसिडेंसी में एक ऐसी सरकार स्थापित की गई, जिसमें गवर्नर जनरल और उसकी परिषद के चार सदस्य थे, जो अपनी सत्ता का उपयोग संयुक्त रूप से करते थे. इसकी मुख्य बातें इस प्रकार हैं - (i)  कंपनी के शासन पर संसदीय नियंत्रण स्थापित किया गया. (ii)  बंगाल के गवर्नर को तीनों प्रेसिडेंसियों का जनरल नियुक्त किया गया. (iii)  कलकत्ता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई. 2. 1784 ई. का पिट्स इंडिया एक्ट:  इस एक्ट के द्वारा दोहरे प्रशासन का प्रारंभ हुआ- (i) कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स - व्यापारिक मामलों के लिए (ii) बोर्ड ऑफ़ कंट्रोलर- राजनीतिक मामलों के लिए. 3. 1793 ई. का चार्टर अधिनियम:  इसके द्वारा नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों तथा कर्मचारियों के वेतन आदि को भारतीय

भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण |Indian Constituent Assembly and Constitution making

  भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण |Indian Constituent Assembly and Constitution making संविधान निर्माण की सर्वप्रथम मांग बाल गंगाधर तिलक द्वारा 1895 में "स्वराज विधेयक" द्वारा की गई। 1916 में होमरूल लीग आन्दोलन चलाया गया।जिसमें घरेलू शासन सचांलन की मांग अग्रेजो से की गई। 1922 में गांधी जी ने संविधान सभा और संविधान निर्माण की मांग प्रबलतम तरीके से की और कहा- कि जब भी भारत को स्वाधीनता मिलेगी भारतीय संविधान का निर्माण -भारतीय लोगों की इच्छाओं के अनुकुल किया जाएगा। अगस्त 1928 में नेहरू रिपोर्ट बनाई गई। जिसकी अध्यक्षता पं. मोतीलाल नेहरू ने की। इसका निर्माण बम्बई में किया गया। इसके अन्तर्गत ब्रिटीश भारत का पहला लिखित संविधान बनाया गया। जिसमें मौलिक अधिकारों अल्पसंख्यकों के अधिकारों तथा अखिल भारतीय संघ एवम् डोमिनियम स्टेट के प्रावधान रखे गए। इसका सबसे प्रबलतम विरोध मुस्लिम लीग और रियासतों के राजाओं द्वारा किया गया। 1929 में जवाहर लाला नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर सम्मेलन हुआ। जिसमें पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई। 1936 में कांग्रेस का फैजलपुर सम्मेलन आयोजित किया गय

निति आयोग और वित्त आयोग |NITI Ayog and Finance Commission

  निति आयोग और वित्त आयोग यह एक गैर संवैधानिक निकाय है | National Institution for Transforming India( NITI Aayog )(राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) इसकी स्थापना 1 जनवरी 2015 को हुई | मुख्यालय – दिल्ली भारत सरकार का मुख्य थिंक-टैंक है| जिसे योजना आयोग के स्‍थान पर बनाया गया है इस आयोग का कार्य सामाजिक व आर्थिक मुद्दों पर सरकार को सलाह देने का है जिससे सरकार ऐसी योजना का निर्माण करे जो लोगों के हित में हो। निति आयोग को 2 Hubs में बाटा गया है 1) राज्यों और केंद्र के बीच में समन्वय स्थापित करना | 2) निति आयोग को बेहतर बनाने का काम | निति आयोग की संरचना : 1. भारत के प्रधानमंत्री- अध्यक्ष। 2. गवर्निंग काउंसिल में राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रशासित प्रदेशों(जिन केन्द्रशासित प्रदेशो में विधानसभा है वहां के मुख्यमंत्री ) के उपराज्यपाल शामिल होंगे। 3. विशिष्ट मुद्दों और ऐसे आकस्मिक मामले, जिनका संबंध एक से अधिक राज्य या क्षेत्र से हो, को देखने के लिए क्षेत्रीय परिषद गठित की जाएंगी। ये परिषदें विशिष्ट कार्यकाल के लिए बनाई जाएंगी। भारत के प्रधानमंत्री के निर्देश पर क्षेत्रीय परिषदों की बैठक हो

राजनीति विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर | Important Quetions and Answers of Political Science

  राजनीति विज्ञान के 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 1. दार्शनिक राजा का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था ? उत्तर. प्लेटो ने। 2. संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान महासचिव हैं ? उत्तर. एंटोनियो गुटेरेश है जो पुर्तगाल के हैं, जिन्होने 1 जनवरी 2017 को अपना कार्यकाल सँभाला 3. श्रेणी समाजवाद का संबंध निम्नलिखित में से किस देश से रहा है ? उत्तर. बिर्टेन से। 4. राज्य की उत्पत्ति का दैवीय सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था ? उत्तर. जेम्स प्रथम ने 5. मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है? उत्तर. राष्ट्रपति 6. संसद का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी की न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए? उत्तर. 25 वर्ष 7. भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा प्रस्तावना में दो शब्द ‘समाजवादी’ और धर्मनिरपेक्ष जोड़े गए थे? उत्तर. 42वें 8. भारतीय संविधान के कौनसे भाग में नीति निदेशक तत्वों का वर्णन है ? उत्तर. चतुर्थ। 9. जस्टिस शब्द जस से निकला है जस का संबंध किस भाषा से है ? उत्तर. लैटिन 10. पंचायत समिति का गठन होता है? उत्तर. प्रखंड स्तर पर 11. “मेरे पास खून, पसीना और आँसू के अतिरिक्त देने के लिए कुछ भी नहीं है ” यह किसने क

संविधान की प्रस्तावना प्रस्तावना संविधान के लिए एक परिचय के रूप में कार्य |Preamble to the Constitution Preamble Acts as an introduction to the Constitution

  प्रस्तावना उद्देशिका संविधान के आदर्शोँ और उद्देश्योँ व आकांक्षाओं का संछिप्त रुप है। अमेरिका का संविधान प्रथम संविधान है, जिसमेँ उद्देशिका सम्मिलित है। भारत के संविधान की उद्देशिका जवाहरलाल नेहरु द्वारा संविधान सभा मेँ प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव पर आधारित है। उद्देश्यिका 42 वेँ संविधान संसोधन (1976) द्वारा संशोधित की गयी। इस संशोधन द्वारा समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्द सम्मिलित किए गए। प्रमुख संविधान विशेषज्ञ एन. ए. पालकीवाला ने प्रस्तावना को  संविधान का परिचय पत्र  कहा है। हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिक को : सामाजिक, आर्थिक, और राजनैतिक नयाय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब मेँ व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा मेँ आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत २००६ विक्रमी) को एतद् द्वारा

डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जीवनी एवं विचार/Biography and Thoughts of Dr. Bhimrao Ambedkar

   डॉ. भीमराव अम्बेडकर  की जीवनी एवं विचार/Biography and Thoughts of  Dr. Bhimrao Ambedkar डॉ. भीमराव अम्बेडकर डॉ. अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 में महाराष्ट्र में हुआ था। इन्होंने 1907 ई. में हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद बड़ीदा के महाराज ने उच्च शिक्षण प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की। तत्पश्चात् 1919 ई. में इन्होंने अमेरिका के कोलम्विया विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो. सेल्गमैन उनके प्राध्यापक थे। इसके उपरान्त डॉक्टरेट के लिए अम्बेडकर ने लन्दन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में एडमिशन लिया।      अम्बेडकर साहब का जन्म चूँकि एक अस्पृश्य परिवार में हुआ था जिस कारण इस घटना ने इनके जीवन को बहुत ही ज्यादा प्रभावित किया जिससे ये भारतीय समाज की जाति व्यवस्था के विरोध में आगे आए। डॉ. अम्बेडकर ने 1925 ई. में एक पाक्षिक समाचार पत्र 'बहिष्कृत भारत' का प्रकाशन बम्बई से प्रारम्भ किया। इसके एक वर्ष पश्चात् (1924 ई. में) इन्होंने 'बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की। इनके अलावा कुछ संस्थाएँ और थी- समता सैनिक दल, स्वतन्त्र लेबर पार्टी, अनुसूचित जाति

भारतीय संविधान के भाग |Part of Indian Constitution

  भाग 1  संघ और उसके क्षेत्र- अनुच्छेद 1-4 भाग 2  नागरिकता- अनुच्छेद 5-11 भाग 3  मूलभूत अधिकार- अनुच्छेद 12 - 35 भाग 4  राज्य के नीति निदेशक तत्व- अनुच्छेद 36 - 51 भाग 4 A  मूल कर्तव्य- अनुच्छेद 51A भाग 5  संघ- अनुच्छेद 52-151 भाग 6  राज्य- अनुच्छेद 152 -237 भाग 7  संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम,- 1956 द्वारा निरसित भाग 8  संघ राज्य क्षेत्र- अनुच्छेद 239-242 भाग 9  पंचायत - अनुच्छेद 243- 243O भाग 9A  नगर्पालिकाएं- अनुच्छेद 243P - 243ZG भाग 10  अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र- अनुच्छेद 244 - 244A भाग 11  संघ और राज्यों के बीच संबंध- अनुच्छेद 245 - 263 भाग 12  वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद -अनुच्छेद 264 -300A भाग 13  भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम- अनुच्छेद 301 - 307 भाग 14  संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं- अनुच्छेद 308 -323 भाग 14A  अधिकरण- अनुच्छेद 323A - 323B भाग 15 निर्वाचन- अनुच्छेद 324 -329A भाग 16  कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध संबंध- अनुच्छेद 330- 342 भाग 17  राजभाषा- अनुच्छेद 343- 351 भाग 18  आपात उपबंध अनुच्छेद- 352 - 360 भाग 19  प्रकीर्ण- अनुच्छेद 361 -367

भारतीय संविधान के अनुच्छेद | Article of Indian Constitution Article: - Description

  अनुच्‍छेद :- विवरण 1:-  संघ का नाम और राज्‍य क्षेत्र 2:-  नए राज्‍यों का प्रवेश या स्‍थापना 2क:-  [निरसन] 3:-  नए राज्‍यों का निर्माण और वर्तमान राज्‍यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन 4:-  पहली अनुसूची और चौथी अनुसूचियों के संशोधन तथा अनुपूरक, और पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्‍छेद 2 और अनुच्‍छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियां 5:-  संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता 6:-  पाकिस्‍तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्‍यक्तियों के नागरिकता के अधिकार 7:-  पाकिस्‍तान को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्‍यक्तियों के नागरिकता के अधिकार 8:-  भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्भव के कुछ व्‍यक्तियों के नागरिकता के अधिकार 9:-  विदेशी राज्‍य की नागरिकता, स्‍वेच्‍छा से अर्जित करने वाले व्‍यक्तियों का नागरिक न होना 10:-  नागरिकता के अधिकारों को बना रहना 11:-  संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना 12:-  परिभाषा 13:-  मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्‍पीकरण करने वाली विधियां 14:-  विधि के समक्ष समानता 15:-  धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्‍म स्‍थान के आधार पर विभेद क

भारतीय संविधान के विदेशी स्रोत कौन कौन से है |Which are the foreign sources of Indian constitution

  भारतीय संविधान के अनेक देशी और विदेशी स्त्रोत हैं, लेकिन भारतीय संविधान पर सबसे अधिक प्रभाव भारतीय शासन अधिनियम 1935 का है। भारत के संविधान का निर्माण 10 देशो के संविधान से प्रमुख तथ्य लेकर बनाया गया है। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।भारत के संविधान के निर्माण में निम्न देशों के संविधान से सहायता ली गई है: संयुक्त राज्य अमेरिका:  मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उपराष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात, न्यायपालिका की स्वतंत्रता ब्रिटेन:  संसदात्मक शासन-प्रणाली, एकल नागरिकता एवं विधि निर्माण प्रक्रिया, विधि का शासन, मंत्रिमंडल प्रणाली, परमाधिकार लेख, संसदीय विशेषाधिकार और द्विसदनवाद आयरलैंड:  नीति निर्देशक सिद्धांत, राष्ट्रपति के निर्वाचक-मंडल की व्यवस्था, राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में साहित्य, कला, विज्ञान तथा समाज-सेवा इत्यादि के क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त व्यक्तियों का मनोनयन ऑस्ट्रेलिया:  प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूच

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हीगल की जीवनी एवं विचार (Biography and Thoughts of Hegel)/हीगल की रचनाएँ/विश्वात्मा पर विचार /विश्वात्मा पर विचार / जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल

  जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल  हीगल (Hegel) जर्मन आदर्शवादियों में होगल का नाम शीर्षस्य है। इनका पूरा नाम जार्ज विल्हेम फ्रेडरिक हीगल था। 1770 ई. में दक्षिण जर्मनी में बर्टमवर्ग में उसका जन्म हुआ और उसकी युवावस्था फ्रांसीसी क्रान्ति के तुफानी दौरे से बीती हींगल ने विवेक और ज्ञान को बहुत महत्त्व प्रदान किया। उसके दर्शन का महत्त्व दो ही बातों पर निर्भर करता है- (क) द्वन्द्वात्मक पद्धति, (ख) राज्य का आदर्शीकरण। हीगल की रचनाएँ लीगल की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं 1. फिनोमिनोलॉजी ऑफ स्पिरिट (1807)  2. साइन्स ऑफ लॉजिक (1816) 3. फिलॉसफी ऑफ लॉ या फिलॉसफी ऑफ राइट (1821) 4. कॉन्सटीट्शन ऑफ जर्मनी  5. फिलॉसफी ऑफ हिस्ट्री (1886) मृत्यु के बाद प्रकाशित विश्वात्मा पर विचार  हीगल के अनुसार इतिहास विश्वात्मा की अभिव्यक्ति की कहानी है या इतिहास में घटित होने वाली सभी घटनाओं का सम्बन्ध विश्वात्मा के निरन्तर विकास के विभिन्न चरणों से है। विशुद्ध अद्वैतवादी विचारक हीगल सभी जड़ एवं चेतन वस्तुओं का उद्भव विश्वात्मा के रूप में देखता है वेदान्तियों के रूप में देखता है वेदान्तियों के 'तत्वमसि', 'अ

भारत की न्यायपालिका कैसे काम करती है | How India's judiciary works

  भारत की न्यायपालिका सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय का गठन संविधान के अनुसार भारत की शीर्ष न्यायपालिका यहाँ का सर्वोच्च न्यायालय है. संविधान के अनुसार इसमें एक मुख्य न्यायाधीश तथा अधिक-से-अधिक सात न्यायाधीश होते हैं. संसद् कानून द्वारा न्यायाधीशों की संख्या में परिवर्तन कर सकती है. न्यायाधीशों की संख्या में समय-समय पर बढ़ोतरी की जाती रही है. वर्ष 1956 में 11, 1960 में 14, 1978 में 18 तथा 1986 में 26 तक की वृद्धि कर दी गयी. वर्तमान समय में उच्चत्तम न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और 30 अन्य न्यायाधीश (कुल 31 न्यायाधीश) हैं. मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है. मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश से परामर्श अवश्य लेता है. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यताएँ भारत का नागरिक हो कम-से-कम 5 वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रह चुका हो कम-से-कम 10 वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय में वकालत कर चुका हो या राष्ट्रपति के विचार में सुविख्यात विधिवेत्ता (कानूनज्ञाता) हो भारत के संविधान के अनुच्छेद 124

भारतीय संविधान के विकास का इतिहास | History of development of Indian constitution

  1757 ई. की प्लासी की लड़ाई और 1764 ई. बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन का शिकंजा कसा. इसी शासन को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए अंग्रेजों ने समय-समय पर कई एक्ट पारित किए, जो भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियां बनीं. वे निम्न हैं: 1. 1773 ई. का रेग्‍यूलेटिंग एक्ट:  इस एक्ट के अंतर्गत कलकत्ता प्रेसिडेंसी में एक ऐसी सरकार स्थापित की गई, जिसमें गवर्नर जनरल और उसकी परिषद के चार सदस्य थे, जो अपनी सत्ता का उपयोग संयुक्त रूप से करते थे. इसकी मुख्य बातें इस प्रकार हैं - (i)  कंपनी के शासन पर संसदीय नियंत्रण स्थापित किया गया. (ii)  बंगाल के गवर्नर को तीनों प्रेसिडेंसियों का जनरल नियुक्त किया गया. (iii)  कलकत्ता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई. 2. 1784 ई. का पिट्स इंडिया एक्ट:  इस एक्ट के द्वारा दोहरे प्रशासन का प्रारंभ हुआ- (i) कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स - व्यापारिक मामलों के लिए (ii) बोर्ड ऑफ़ कंट्रोलर- राजनीतिक मामलों के लिए. 3. 1793 ई. का चार्टर अधिनियम:  इसके द्वारा नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों तथा कर्मचारियों के वेतन आदि को भारतीय

राजनीति विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर | Important Quetions and Answers of Political Science

  राजनीति विज्ञान के 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 1. दार्शनिक राजा का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था ? उत्तर. प्लेटो ने। 2. संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान महासचिव हैं ? उत्तर. एंटोनियो गुटेरेश है जो पुर्तगाल के हैं, जिन्होने 1 जनवरी 2017 को अपना कार्यकाल सँभाला 3. श्रेणी समाजवाद का संबंध निम्नलिखित में से किस देश से रहा है ? उत्तर. बिर्टेन से। 4. राज्य की उत्पत्ति का दैवीय सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था ? उत्तर. जेम्स प्रथम ने 5. मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है? उत्तर. राष्ट्रपति 6. संसद का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी की न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए? उत्तर. 25 वर्ष 7. भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा प्रस्तावना में दो शब्द ‘समाजवादी’ और धर्मनिरपेक्ष जोड़े गए थे? उत्तर. 42वें 8. भारतीय संविधान के कौनसे भाग में नीति निदेशक तत्वों का वर्णन है ? उत्तर. चतुर्थ। 9. जस्टिस शब्द जस से निकला है जस का संबंध किस भाषा से है ? उत्तर. लैटिन 10. पंचायत समिति का गठन होता है? उत्तर. प्रखंड स्तर पर 11. “मेरे पास खून, पसीना और आँसू के अतिरिक्त देने के लिए कुछ भी नहीं है ” यह किसने क

निति आयोग और वित्त आयोग |NITI Ayog and Finance Commission

  निति आयोग और वित्त आयोग यह एक गैर संवैधानिक निकाय है | National Institution for Transforming India( NITI Aayog )(राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) इसकी स्थापना 1 जनवरी 2015 को हुई | मुख्यालय – दिल्ली भारत सरकार का मुख्य थिंक-टैंक है| जिसे योजना आयोग के स्‍थान पर बनाया गया है इस आयोग का कार्य सामाजिक व आर्थिक मुद्दों पर सरकार को सलाह देने का है जिससे सरकार ऐसी योजना का निर्माण करे जो लोगों के हित में हो। निति आयोग को 2 Hubs में बाटा गया है 1) राज्यों और केंद्र के बीच में समन्वय स्थापित करना | 2) निति आयोग को बेहतर बनाने का काम | निति आयोग की संरचना : 1. भारत के प्रधानमंत्री- अध्यक्ष। 2. गवर्निंग काउंसिल में राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रशासित प्रदेशों(जिन केन्द्रशासित प्रदेशो में विधानसभा है वहां के मुख्यमंत्री ) के उपराज्यपाल शामिल होंगे। 3. विशिष्ट मुद्दों और ऐसे आकस्मिक मामले, जिनका संबंध एक से अधिक राज्य या क्षेत्र से हो, को देखने के लिए क्षेत्रीय परिषद गठित की जाएंगी। ये परिषदें विशिष्ट कार्यकाल के लिए बनाई जाएंगी। भारत के प्रधानमंत्री के निर्देश पर क्षेत्रीय परिषदों की बैठक हो

मानवेन्द्र नाथ रॉय की जीवनी एवं विचार/Biography and Thoughts of Manvendra Nath Roy

   मानवेन्द्र नाथ रॉय/Manvendra Nath Roy मानवेन्द्र नाथ रॉय मानवेन्द्र नाथ रॉय का भारत के समाजवादी चिन्तकों में सर्वप्रमुख स्थान है। वे भारत में न केवल समाजवाद के सैद्धान्तिक व्याख्याकार के रूप में जाने जाते हैं अपितु साम्यवाद के प्रचार और प्रसार की दृष्टि से भी उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। जहाँ एक ओर जिस प्रबलता से उन्होंने साम्यवाद का समर्थन किया उतनी ही प्रथलता से उन्होंने अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में उसका विरोध भी किया। राव ने भौतिकवाद की भी नई व्याख्या की और इसे एक नैतिक पुट प्रदान किया। व्यक्ति की स्वतन्त्रता और समानता का जयघोष करके उन्होंने व्यक्ति की गरिमा को आगे बढ़ाया। रॉय की रचनाएँ तथा विचारधारा एम.एन रॉय न केवल एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे अपितु एक विचारक एवं लेखक भी थे। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं। 1922 में रॉय ने अपनी पुस्तक 'इण्डिया इन ट्रांजीशन' में समकालीन भारत का समाजशास्त्रीय अध्ययन प्रस्तुत किया। माण्टेग्यू दृष्टिकोण के समर्थक भारत के लिए उत्तरदायी शासन के मन्द तथा क्रमिक विकास में विश्वास करते थे। भारतीय उदारवादियों को ब्रिटिश न्यायप्रियता में विश्वास था और

आपातकालीन उपबंध क्या है | What is emergency provision

  आपातकालीन उपबंध संविधान के भाग 18 में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकालीन उपबंध के बारे में बताया गया है।आपातकाल के दौरान सभी राज्य केंद्र के पूर्ण नियंत्रण में आ जाते हैं। आपातकाल को तीन प्रकार से विभाजित किया गया है यानी कि हमारे भारत में तीन प्रकार के आपातकाल किसी भी समय लागू किए जा सकते हैं। आपातकाल के प्रकार- युद्ध बाह्य आक्रमण– अनुच्छेद 352 राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण राष्ट्रपति शासन– अनुच्छेद 356 वित्तीय स्थायित्व के कारण– अनुच्छेद 360 आपातकालीन घोषणा के प्रकार-  राष्ट्रपति विभिन्न परियोजनाएं जारी कर सकता है यह उपबंध 1975 के 38 वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया है। जब घोषणा युद्ध अथवा बाह्य आक्रमण के आधार पर की जाती है तब इसे बाहर आपातकाल कहते हैं। जब घोषणा सशस्त्र विद्रोह के आधार पर की जाती है तब इसे आंतरिक आपातकाल कहते हैं। आंतरिक गड़बड़ी को 1978 के 44वें संविधान संशोधन द्वारा सशस्त्र विद्रोह नाम रखा गया है। राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश के बाद ही शासन लागू कर सकता है। आपातकालीन घोषणा के एक माह बाद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित हो जानी चाहिए

टी.एच. ग्रीन की जीवनी एवं विचार (Biography and Thoughts of T. H. Green)

 टी.एच. ग्रीन (T. H. Green)  टी.एच. ग्रीन (T. H. Green)      उदारवाद की मुख्य समस्या व्यक्ति के व्यक्तित्व तथा सामाजिक समुदाय में सामंजस्य लाने की रही है। जहाँ पहले उदारवादियों ने समाज की अपेक्षा व्यक्ति को अधिक महत्त्व दिया, वहाँ ग्रीन (1898) ने यह विचार प्रकट किया कि सामाजिक जीवन में महत्त्वपूर्ण भाग अदा करने से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास हो सकता है। उदारवाद ने पुराने सिद्धांत ने राज्य को कम-से-कम कानून बनाने की सलाह दी परंतु ग्रीन का यह मत था कि उदारवाद को इस संकुचित चार पर हमेशा के लिए खड़ा नहीं किया जा सकता। उदारवादी नीतियों को लचीला होना पड़ा ताकि वे समय की तयों का सामना कर सकें। यदि उदारवाद को सच्चा होना है तो उसका आधार नैतिक होना चाहिए। उनके अनुसार यादी दर्शन का केंद्र-बिंदु सामाजिक हित का विचार अर्थात् सार्वजनिक कल्याण है। राज्य द्वारा बनाए जाने वाले अनूनों का भी उसने यही मापदंड निर्धारित किया। सवतंत्रता की धारणा भी, ग्रीन के अनुसार, व्यक्तिगत धारणा के साथ-साथ एक सामाजिक धारणा है और यह उस समाज की गुणवत्ता (quality) और समाज में रहने वाले व्यक्तियों को गुणवत्ता दोनों की त

मैकियावेली /Machiavelli/ यूरोपीय और आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचार

मैकियावेली /Machiavelli/ यूरोपीय और आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचार मैकियावेली (Machiavelli) मैकाइवली (मैकाइवर) ने सामाजिक आधारों को राजनीति के मूल में मानते हुए सामाजिक इकाईयों के आधार पर राज्य की उत्पत्ति का सिद्धान्त दिया है। मैकाइवर के अनुसार नेतृत्व का प्रदर्शन तथा सत्ता का प्रयोग वहाँ होता है जहाँ समाज होता है। मैकाइवर का विचार है कि इस समाज के वातावरण ने प्रत्येक परिवार से 'पिता' को तथा परिवारों से 'पिताओं' और 'मुखियाओं' को जन्म दिया। परिवार का पिता परिवार का तथा परिवारों के बहुपिता परिवारों से संबंधित विषयों का शासन प्रबंध चलाने लग गए। पिताओं तथा 'मुखियाओं' में से किसी एक विषय 'पिता' अथवा 'मुखिया' ने अपने शक्तिशाली तथा प्रभावशाली व्यक्तित्व के बल से 'सरदार' का रूप धारण कर लिया। यहीं नेतृत्व का आरंभ था। इस तरह सरदार के कार्य भिन्न प्रकार के होने के कारण उसने समूह के परिवारों के अन्य अनेक 'पिताओं' से अपनी अलग पहचान बना ली। उसकी स्थिति अन्य 'मुखियाओं' की अपेक्षा अधिक गौरवपूर्ण बन गई। धीरे-धीरे उसके विशेषाधिकारों

भारतीय राजव्यवस्था में वरीयता अनुक्रम/order of precedence in the Indian polity

  भारतीय राजव्यवस्था में वरीयता अनुक्रम भारतीय राजव्यवस्था में विभिन्न पदाधिकारियों का वरीयता अनुक्रम इस प्रकार है: (1)  राष्ट्रपति, (2)  उपराष्ट्रपति, (3)  प्रधानमंत्री (4)  राज्यों के राजपाल, अपने राज्यों में (5)  भूतपूर्व राष्ट्रपति (5 क)  उप प्रधानमंत्री (6)  भारत का मुख्य न्यायधीश तथा लोक सभाध्यक्ष (7)  केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों में, योजना आयोग का उपाध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री तथा संसद के विपक्ष का नेता (7 क)  भारत रत्न सम्मान के धारक (8)  राजदूत (9)  उच्चतम न्यायलय के न्यायाधीश (9 क)  मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा भारत का नियंत्रक महालेखा परीक्षक (10)  राज्य सभा का उपसभापति लोक सभा का उपाध्यक्ष, योजना आयोग के सदस्य तथा केंद्र में राज्यमंत्री भारत रत्न एकमात्र ऐसा पुरस्कार है जिसे वरीयता अनुक्रम में स्थान दिया गया है. नोट:  मुख्य चुनाव आयुक्त शेषन के आग्रह पर सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त को (9)क की स्थिति प्रदान की है, यानी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समकक्ष दर्जा (यह संशोधन अगस्त में किया गया).