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प्लेटो/Plato/ प्राचीन यूनानी राजनीतिक विचार /ancient greek political thought/

  प्लेटो/Plato/ प्राचीन यूनानी राजनीतिक विचार /ancient greek political thought/ प्राचीन यूनानी राजनीतिक विचार  प्लेटो प्लेटो का जन्म एथेन्स के समीपवर्ती इजिना (Aegina) नामक द्वीप में हुआ था। उनका परिवार सामन्त था। उनके पिता अरिस्ट्रोन तथा उनकी माता पेरिक्टोन इतिहास प्रसिद्ध कुलीन नागरिक थे। बाल्यावस्था में ही उनके पिता की मृत्यु हो गयी, अतः प्लेटो का पालन-पोषण उनके सौतेले पिता पादरी लेम्पीज ने किया। सर्वप्रथम उन्होंने संगीत, कविता, चित्रकला आदि का अध्ययन किया 404 ई. पू. ये सुकरात के शिष्य बने तथा संकरात के जीवन के अन्तिम क्षण तक उनके शिष्य बने रहे सुकरात की मृत्यु के बाद प्रजातन्त्र के प्रति इन्हें घृणा हो गयी। इन्होंने मेगारा, मिस्र, साएरी, इटली और सिसली आदि देशों की यात्रा की तथा अन्त में एथेन्स लौटकर अकादमी (Academy) की स्थापना की और अन्त तक इसके प्रधान आचार्य बने रहे। ई.पू. 345 में इनका देहान्त हो गया तथा सॉफिस्ट लोगों के अनुसार सुख ही सद्गुण है। सर्वप्रथम प्लेटो इसकी आलोचना करते हैं। जिस प्रकार सत्य तथा ज्ञान को इन्द्रिय-जन्य मानने से सत्य आत्मगत हो जाता है उसी प्रकार सद्गुण को सु

शांति पर्व /peace festival

  शांति पर्व /peace festival शांति पर्व   मानव के एक सामाजिक प्राणी होने के नाते उसमें अन्तः सम्बन्धों की प्रवृत्ति स्वतः ही विकसित होती जाती है प्राचीनकाल की शासन पद्धति की जानकारी हमें उस समय में लिखे गए ऐतिहासिक ग्रंथों के माध्यम से ही प्राप्त होती है अतः उ प्राचीन भारतीय शासन पद्धति के अध्ययन में महान ग्रन्य महाभारत के शान्ति पर्व का अध्ययन अति उल्लेखनीय है। इस काल की राजनीतिक व्यवस्था के अध्ययन में हम महाभारत के शांति पर्व में वर्णित उस समय की राजनीति व्यवस्था दण्डनीति राजधर्म, मन्त्रिपरिषद् और कर व्यवस्था के साथ परराष्ट्र सम्बन्धों को समझने में करेंगे। शान्ति पर्व में उल्लेखित प्रमुख राजनीतिक विचार निम्नलिखित है-शान्तिपर्य में संवाद के कर्तव्यों एवं शासन व्यवस्था के विभिन्न अंगों का विस्तृत वर्णन है। इसके साथ ही इसमें राजशास्त्र के महत्व का वर्णन भी किया गया है। महाभारत का शान्ति पर्व में प्रमुख राजनीतिक विचार निम्न है-  राज्य की उत्पत्ति का आधार क्या है?  महाभारत के शान्ति पर्व मानव में बहुत ही ज्यादा प्रेम, त्याग, भाईचारा, धर्म के अनुसार जीने की आदत आदि यी यहाँ किसी शक्ति या रा

प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचार (Ancient Indian Political Thought )

            प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचार कौटिल्य और अर्थशास्त्र      कौटिल्य के बचपन का नाम विष्णुगुप्त था तथा वे चणक नामक ब्राह्मण के पुत्र थे इसलिए उन्हें चाणक्य नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। हमारे समक्ष कौटिल्य के संबंध में जो भी ऐतिहासिक तथ्य, सूचनाएं एवं जानकारियां उपलब्ध हैं, उनके द्वारा यह प्रमाणित होता कि कौटिल्य मौर्य सम्राट् के चन्द्रगुप्त प्रधानमंत्री तथा विशेष सलाहकार थे। कौटिल्य के अर्थशास्त्र की जानकारी वर्ष 1905 में उस समय हुई। जब तंजौर के एक ब्राह्मण ने इसकी हस्तलिखित एक पाण्डुलिपि मैसूर राज्य के प्राच्य पुस्तकालय को भेंट की। इन पाण्डुलिपियों को एक ग्रन्थ के रूप में 1909 में प्रकाशित किया गया । कौटिल्य के इस ग्रन्थ (अर्थशास्त्र) में पन्द्रह अधिकरण, एक सौ अस्सी प्रकरण, एक सौ पचास अध्याय और छह हजार श्लोक हैं। राजनीतिक विचार कौटिल्य का अर्थशास्त्र मूलतः राजनैतिक ग्रंथ है। इसमें समस्त राजनैतिक विचारों को समाहित किया गया है। अर्थशास्त्र में उल्लेखित राजनीतिक विचार निम्नलिखित हैं- राज्य की उत्पत्ति और स्वरूप कौटिल्य ने सामाजिक समझौते के सिद्धान्त को राज्य की उत्पत्ति के स

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हीगल की जीवनी एवं विचार (Biography and Thoughts of Hegel)/हीगल की रचनाएँ/विश्वात्मा पर विचार /विश्वात्मा पर विचार / जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल

  जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल  हीगल (Hegel) जर्मन आदर्शवादियों में होगल का नाम शीर्षस्य है। इनका पूरा नाम जार्ज विल्हेम फ्रेडरिक हीगल था। 1770 ई. में दक्षिण जर्मनी में बर्टमवर्ग में उसका जन्म हुआ और उसकी युवावस्था फ्रांसीसी क्रान्ति के तुफानी दौरे से बीती हींगल ने विवेक और ज्ञान को बहुत महत्त्व प्रदान किया। उसके दर्शन का महत्त्व दो ही बातों पर निर्भर करता है- (क) द्वन्द्वात्मक पद्धति, (ख) राज्य का आदर्शीकरण। हीगल की रचनाएँ लीगल की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं 1. फिनोमिनोलॉजी ऑफ स्पिरिट (1807)  2. साइन्स ऑफ लॉजिक (1816) 3. फिलॉसफी ऑफ लॉ या फिलॉसफी ऑफ राइट (1821) 4. कॉन्सटीट्शन ऑफ जर्मनी  5. फिलॉसफी ऑफ हिस्ट्री (1886) मृत्यु के बाद प्रकाशित विश्वात्मा पर विचार  हीगल के अनुसार इतिहास विश्वात्मा की अभिव्यक्ति की कहानी है या इतिहास में घटित होने वाली सभी घटनाओं का सम्बन्ध विश्वात्मा के निरन्तर विकास के विभिन्न चरणों से है। विशुद्ध अद्वैतवादी विचारक हीगल सभी जड़ एवं चेतन वस्तुओं का उद्भव विश्वात्मा के रूप में देखता है वेदान्तियों के रूप में देखता है वेदान्तियों के 'तत्वमसि', 'अ

भारत की न्यायपालिका कैसे काम करती है | How India's judiciary works

  भारत की न्यायपालिका सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय का गठन संविधान के अनुसार भारत की शीर्ष न्यायपालिका यहाँ का सर्वोच्च न्यायालय है. संविधान के अनुसार इसमें एक मुख्य न्यायाधीश तथा अधिक-से-अधिक सात न्यायाधीश होते हैं. संसद् कानून द्वारा न्यायाधीशों की संख्या में परिवर्तन कर सकती है. न्यायाधीशों की संख्या में समय-समय पर बढ़ोतरी की जाती रही है. वर्ष 1956 में 11, 1960 में 14, 1978 में 18 तथा 1986 में 26 तक की वृद्धि कर दी गयी. वर्तमान समय में उच्चत्तम न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और 30 अन्य न्यायाधीश (कुल 31 न्यायाधीश) हैं. मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है. मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश से परामर्श अवश्य लेता है. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यताएँ भारत का नागरिक हो कम-से-कम 5 वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रह चुका हो कम-से-कम 10 वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय में वकालत कर चुका हो या राष्ट्रपति के विचार में सुविख्यात विधिवेत्ता (कानूनज्ञाता) हो भारत के संविधान के अनुच्छेद 124

राजनीति विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर | Important Quetions and Answers of Political Science

  राजनीति विज्ञान के 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 1. दार्शनिक राजा का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था ? उत्तर. प्लेटो ने। 2. संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान महासचिव हैं ? उत्तर. एंटोनियो गुटेरेश है जो पुर्तगाल के हैं, जिन्होने 1 जनवरी 2017 को अपना कार्यकाल सँभाला 3. श्रेणी समाजवाद का संबंध निम्नलिखित में से किस देश से रहा है ? उत्तर. बिर्टेन से। 4. राज्य की उत्पत्ति का दैवीय सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था ? उत्तर. जेम्स प्रथम ने 5. मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है? उत्तर. राष्ट्रपति 6. संसद का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी की न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए? उत्तर. 25 वर्ष 7. भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा प्रस्तावना में दो शब्द ‘समाजवादी’ और धर्मनिरपेक्ष जोड़े गए थे? उत्तर. 42वें 8. भारतीय संविधान के कौनसे भाग में नीति निदेशक तत्वों का वर्णन है ? उत्तर. चतुर्थ। 9. जस्टिस शब्द जस से निकला है जस का संबंध किस भाषा से है ? उत्तर. लैटिन 10. पंचायत समिति का गठन होता है? उत्तर. प्रखंड स्तर पर 11. “मेरे पास खून, पसीना और आँसू के अतिरिक्त देने के लिए कुछ भी नहीं है ” यह किसने क

निति आयोग और वित्त आयोग |NITI Ayog and Finance Commission

  निति आयोग और वित्त आयोग यह एक गैर संवैधानिक निकाय है | National Institution for Transforming India( NITI Aayog )(राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) इसकी स्थापना 1 जनवरी 2015 को हुई | मुख्यालय – दिल्ली भारत सरकार का मुख्य थिंक-टैंक है| जिसे योजना आयोग के स्‍थान पर बनाया गया है इस आयोग का कार्य सामाजिक व आर्थिक मुद्दों पर सरकार को सलाह देने का है जिससे सरकार ऐसी योजना का निर्माण करे जो लोगों के हित में हो। निति आयोग को 2 Hubs में बाटा गया है 1) राज्यों और केंद्र के बीच में समन्वय स्थापित करना | 2) निति आयोग को बेहतर बनाने का काम | निति आयोग की संरचना : 1. भारत के प्रधानमंत्री- अध्यक्ष। 2. गवर्निंग काउंसिल में राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रशासित प्रदेशों(जिन केन्द्रशासित प्रदेशो में विधानसभा है वहां के मुख्यमंत्री ) के उपराज्यपाल शामिल होंगे। 3. विशिष्ट मुद्दों और ऐसे आकस्मिक मामले, जिनका संबंध एक से अधिक राज्य या क्षेत्र से हो, को देखने के लिए क्षेत्रीय परिषद गठित की जाएंगी। ये परिषदें विशिष्ट कार्यकाल के लिए बनाई जाएंगी। भारत के प्रधानमंत्री के निर्देश पर क्षेत्रीय परिषदों की बैठक हो

भारत में पंचायती राज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी |Panchayati Raj in India

  भारत में पंचायती राज भारत में ब्रिटीश काल 1880 से 1884 के मध्य लार्ड रिपन का कार्यकाल पंचायती राज का स्वर्ण काल माना जाता है। इसने स्थाई निकायों को बढाने का प्रावधान किया। स्वतंत्रता के बाद भारतीय संविधान के भाग -4 में Article 40 में ग्राम पंचायतों के गठन और उन्होंने शक्तियां का उलेख किया गया है लेकिन इसको संवैधनिक दर्जा नहीं मिला। पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम,तालुका और जिला आते हैं| भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्वा में रही है | आधुनिक भारत में पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गाँव में 2 October 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गयी | इस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री ‘मोहनलाल सुखाडिया’ व मुख्या सचिव ‘भगत सिंह मेहता’ थे | भगत सिंह मेहता को राजस्थान में व बलवंतराय मेहता को भारत में पंचायती राज का जनक मन जाता है | इसको सवैधानिक दर्जा 73 वें संविधान सेशोधन 1992 मे मिला इसको ग्याहरवी अनुसूची, भाग -9 व Article 243 में 16 कानून व 29 कार्यो का उलेख किया गया है।भारत में 1957 – बलवन्त राय मेहता समिति की सिफा

आपातकालीन उपबंध क्या है | What is emergency provision

  आपातकालीन उपबंध संविधान के भाग 18 में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकालीन उपबंध के बारे में बताया गया है।आपातकाल के दौरान सभी राज्य केंद्र के पूर्ण नियंत्रण में आ जाते हैं। आपातकाल को तीन प्रकार से विभाजित किया गया है यानी कि हमारे भारत में तीन प्रकार के आपातकाल किसी भी समय लागू किए जा सकते हैं। आपातकाल के प्रकार- युद्ध बाह्य आक्रमण– अनुच्छेद 352 राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण राष्ट्रपति शासन– अनुच्छेद 356 वित्तीय स्थायित्व के कारण– अनुच्छेद 360 आपातकालीन घोषणा के प्रकार-  राष्ट्रपति विभिन्न परियोजनाएं जारी कर सकता है यह उपबंध 1975 के 38 वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया है। जब घोषणा युद्ध अथवा बाह्य आक्रमण के आधार पर की जाती है तब इसे बाहर आपातकाल कहते हैं। जब घोषणा सशस्त्र विद्रोह के आधार पर की जाती है तब इसे आंतरिक आपातकाल कहते हैं। आंतरिक गड़बड़ी को 1978 के 44वें संविधान संशोधन द्वारा सशस्त्र विद्रोह नाम रखा गया है। राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश के बाद ही शासन लागू कर सकता है। आपातकालीन घोषणा के एक माह बाद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित हो जानी चाहिए

टी.एच. ग्रीन की जीवनी एवं विचार (Biography and Thoughts of T. H. Green)

 टी.एच. ग्रीन (T. H. Green)  टी.एच. ग्रीन (T. H. Green)      उदारवाद की मुख्य समस्या व्यक्ति के व्यक्तित्व तथा सामाजिक समुदाय में सामंजस्य लाने की रही है। जहाँ पहले उदारवादियों ने समाज की अपेक्षा व्यक्ति को अधिक महत्त्व दिया, वहाँ ग्रीन (1898) ने यह विचार प्रकट किया कि सामाजिक जीवन में महत्त्वपूर्ण भाग अदा करने से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास हो सकता है। उदारवाद ने पुराने सिद्धांत ने राज्य को कम-से-कम कानून बनाने की सलाह दी परंतु ग्रीन का यह मत था कि उदारवाद को इस संकुचित चार पर हमेशा के लिए खड़ा नहीं किया जा सकता। उदारवादी नीतियों को लचीला होना पड़ा ताकि वे समय की तयों का सामना कर सकें। यदि उदारवाद को सच्चा होना है तो उसका आधार नैतिक होना चाहिए। उनके अनुसार यादी दर्शन का केंद्र-बिंदु सामाजिक हित का विचार अर्थात् सार्वजनिक कल्याण है। राज्य द्वारा बनाए जाने वाले अनूनों का भी उसने यही मापदंड निर्धारित किया। सवतंत्रता की धारणा भी, ग्रीन के अनुसार, व्यक्तिगत धारणा के साथ-साथ एक सामाजिक धारणा है और यह उस समाज की गुणवत्ता (quality) और समाज में रहने वाले व्यक्तियों को गुणवत्ता दोनों की त

मैकियावेली /Machiavelli/ यूरोपीय और आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचार

मैकियावेली /Machiavelli/ यूरोपीय और आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचार मैकियावेली (Machiavelli) मैकाइवली (मैकाइवर) ने सामाजिक आधारों को राजनीति के मूल में मानते हुए सामाजिक इकाईयों के आधार पर राज्य की उत्पत्ति का सिद्धान्त दिया है। मैकाइवर के अनुसार नेतृत्व का प्रदर्शन तथा सत्ता का प्रयोग वहाँ होता है जहाँ समाज होता है। मैकाइवर का विचार है कि इस समाज के वातावरण ने प्रत्येक परिवार से 'पिता' को तथा परिवारों से 'पिताओं' और 'मुखियाओं' को जन्म दिया। परिवार का पिता परिवार का तथा परिवारों के बहुपिता परिवारों से संबंधित विषयों का शासन प्रबंध चलाने लग गए। पिताओं तथा 'मुखियाओं' में से किसी एक विषय 'पिता' अथवा 'मुखिया' ने अपने शक्तिशाली तथा प्रभावशाली व्यक्तित्व के बल से 'सरदार' का रूप धारण कर लिया। यहीं नेतृत्व का आरंभ था। इस तरह सरदार के कार्य भिन्न प्रकार के होने के कारण उसने समूह के परिवारों के अन्य अनेक 'पिताओं' से अपनी अलग पहचान बना ली। उसकी स्थिति अन्य 'मुखियाओं' की अपेक्षा अधिक गौरवपूर्ण बन गई। धीरे-धीरे उसके विशेषाधिकारों

भारतीय राजव्यवस्था में वरीयता अनुक्रम/order of precedence in the Indian polity

  भारतीय राजव्यवस्था में वरीयता अनुक्रम भारतीय राजव्यवस्था में विभिन्न पदाधिकारियों का वरीयता अनुक्रम इस प्रकार है: (1)  राष्ट्रपति, (2)  उपराष्ट्रपति, (3)  प्रधानमंत्री (4)  राज्यों के राजपाल, अपने राज्यों में (5)  भूतपूर्व राष्ट्रपति (5 क)  उप प्रधानमंत्री (6)  भारत का मुख्य न्यायधीश तथा लोक सभाध्यक्ष (7)  केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों में, योजना आयोग का उपाध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री तथा संसद के विपक्ष का नेता (7 क)  भारत रत्न सम्मान के धारक (8)  राजदूत (9)  उच्चतम न्यायलय के न्यायाधीश (9 क)  मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा भारत का नियंत्रक महालेखा परीक्षक (10)  राज्य सभा का उपसभापति लोक सभा का उपाध्यक्ष, योजना आयोग के सदस्य तथा केंद्र में राज्यमंत्री भारत रत्न एकमात्र ऐसा पुरस्कार है जिसे वरीयता अनुक्रम में स्थान दिया गया है. नोट:  मुख्य चुनाव आयुक्त शेषन के आग्रह पर सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त को (9)क की स्थिति प्रदान की है, यानी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समकक्ष दर्जा (यह संशोधन अगस्त में किया गया).

संघीय कार्यपालिका एवं भारत का राष्ट्रपति | Federal Executive and President of India

  भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है. 1.  भारत में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है. इसलिए राष्ट्रपति नामपत्र की कार्यपालिका है तथा प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका है. राष्ट्रपति a.  राष्ट्रपति भारत का संवैधानिक प्रधान होता है. b.  भारत का राष्ट्रपति भारत का प्रथम व्यक्ति कहलाता है. 2.   राष्ट्रपति पद की योग्यता:  संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार कोई व्यक्ति राष्‍ट्रपति होने योग्य तब होगा, जब वह: (a)  भारत का नागरिक हो. (b)  35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो. (c)  लोकसभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने योग्य हो. (d)  चुनाव के समय लाभ का पद धारण नहीं करता हो. नोट:  यदि व्यक्ति राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद पर हो या संघ अथवा किसी राज्य की मंत्रिपरिषद का सदस्य हो, तो वह लाभ का पद नहीं माना जाएगा. 3.   राष्‍ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचक मंडल:  इसमें राज्य सभा, लोकसभा और राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य रहते हैं. नवीनतम व्यवस्था के अनुसार पांडिचेरी विधानसभा तथा दिल्ली की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य को भी सम्मिलित किया गया है. 4.  राष्ट्रप